कोरोना काल मे सबसे अधिक निराश मुझे तमाम बुद्धिजीवियों और वामपंथी मित्रों ने किया है, ठीक है आप कोरोना को आप एक बीमारी मान रहे हो उसे एक महामारी भी मान रहे हो आप मानो, आपको पूरा हक है लेकिन आप कम से कम उसके पीछे जो खेल रचा जा रहा है जो उसे तो बेनकाब करो उसके पीछे जो दक्षिणपंथ एक दुरभिसंधि रच रहा है उसके बारे में तो लोगो को बताओ।

भारत में मोदी सरकार द्वारा जो सवा दो महीने का ड्रेकोनियन लॉकडाउन लागू किया गया उससे कोरोना को तो कोई फर्क नही पुहंचा लेकिन देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद हो गयी लेकिन एक भी वामपंथी ओर बुध्दिजीवी वर्ग के व्यक्ति ने उसके खिलाफ कोई आवाज बुलंद नही की, आपसे ज्यादा अच्छा विरोध तो पूंजीपति वर्ग के प्रतिनिधि राजीव बजाज ने किया। जिन्होंने साफ साफ यह कहा, ‘मैंने पूरी दुनिया मे कहीं से भी इस तरह के लॉकडाउन के बारे में नहीं सुना. जैसा भारत मे लागू किया गया, दुनिया भर से मेरे सभी दोस्त और परिवार हमेशा बाहर निकलने के लिए स्वतंत्र रहे हैं।

यह काफी अजीब है. मुझे नहीं लगता कि किसी ने कल्पना की थी कि दुनिया को इस तरह से बंद कर दिया जाएगा. मुझे नहीं लगता कि विश्व युद्ध के दौरान भी दुनिया बंद थी. तब भी चीजें खुली थीं. यह एक अनोखी और विनाशकारी घटना है’

राजीव बजाज ने जापान और स्वीडन का उदाहरण दिया उन्होंने कहा कि वे इन दोनों देशों ने लॉक डाउन नही लगाया लेकिन उनके यहाँ भी कोरोना कंट्रोल में आ गया है।

राजीव बजाज तो विकसित देशों के उदाहरण दे रहे थे मैं आपको पाकिस्तान का उदाहरण देता हूँ कल मैं पाकिस्तान के आंकड़े देख रहा था, आप सभी जानते हैं पाकिस्तान ने लॉक डाउन नही लगाया इमरान ने उस वक्त कहा था कि पाकिस्तान अमेरिका, यूरोप और चीन की तरह लॉकडाउन लागू नहीं कर सकता है.देश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि पूरे देश में लॉकडाउन लगा सकें, हमारा कमजोर वर्ग जिनमें 25 मिलियन लोग शामिल है वे दैनिक या साप्ताहिक मजदूरी पर रहते है हम कैसे लॉक डाउन लगा सकते हैं ?

उस वक्त हमारा मीडिया लॉक डाउन नही लगाने पर पाकिस्तान को कितना क्रिटिसाइज कर रहा था आपको याद होगा !पाकिस्तान में कब्रिस्तान में कब्र खोदते हुए लोगो के विजुअल चलाए जा रहे थे, मीडिया में पाकिस्तान बर्बाद हो जाएगा यह कहा जा रहा था।

आप जानते है परसो पाकिस्तान के आंकड़े क्या थे ? पाकिस्तान में 281,863 कुल केस है जिसमें से 256,058 लोग रिकवर कर चुके हैं मौतें 6,035 हुई है। पाकिस्तान पूरी तरह से रिकवर कर चुका है अब वहां मात्र 25 हजार के आसपास ही एक्टिव पेशेंट है, पिछले 24 घण्टे में मौतें वहाँ मात्र 18 हुई है जबकि भारत मे रोज अब 800 मौतें हो रही है और वो भी तब जब हम भारत मे सवा दो महीने का टोटल लॉक डाउन लगा कर अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर चुके हैं।

ओर भी तमाम बड़े छोटे देश है जिन्होंने अपने यहाँ टोटल लॉक डाउन नही किया वो भी कोरोना से उबरते हुए नजर आ रहे है लेकिन अब कोई उनकी सफलता की बात नही कर रहा है।

क्या भारत के बुध्दिजीवी वर्ग का यह फर्ज नही था कि वह लॉक डाउन के पीछे जो पूंजीवादी दिमाग काम कर रहा है उसे समझता ओर लोगो को समझाता ?

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