राजस्थान में लगभग बीते एक महीने से सियासी संग्राम चल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे इस तनातनी के माहौल को काबू में करने के लिए पार्टी के कई बड़े नेता आगे आए हैं। हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत सहित कई कांग्रेसी नेताओं ने सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के समक्ष माफी मांगने की शर्त रखी है।
गौरतलब है कि कांग्रेस में चल रहे इस असमंजस के हालात के बीच राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता वसुंधरा राजे की चुप्पी को लेकर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस के आंतरिक कलह को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिसा सहित कई स्थानीय नेता सीएम गहलोत पर निशाना साध रहे हैं।
प्रदेश भाजपा के नेताओं को उम्मीद है कि गहलोत सरकार गिरी तो उन्हे ही सत्ता में आने का मौका मिलेगा। ये नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। लेकिन न वसुंधरा राजे ने पूरे प्रकरण से दूरी बनाए रखी। हालांकि उन पर एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल गहलोत के साथ सांठगांठ का आरोप लगाते रहे हैं।
बीते दिनों भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने एक ट्वीट के जरिए यह कहा था कि वह पार्टी और पार्टी की विचारधारा के साथ खड़ी है लेकिन जब केंद्र से लेकर राज्य स्तर तक के भाजपा नेता लगातार कांग्रेस को खेलते रहे तो वसुंधरा राजे ने पूरी तरह चुप्पी बनाए रखी दिलचस्प बात यह है कि वसुंधरा राजे की छुट्टी पर कांग्रेस खुश भी है।
सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे भाजपा के मौजूदा हालात से खुश नहीं है। दो दिन पहले गठित हुई कार्यकारिणी में अपने विश्वस्तों के बजाय मदन दिलावर व दीया कुमारी जैसे विरोधियों को जगह देने से वसुंधरा की नाराजगी पहले से अधिक बढ़ी है। साल, 2018 में गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाने को लेकर वसुंधरा राजे का भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ टकराव हुआ था।