नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी भले ही हर मौजूदा समस्या के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराए, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 27.3 करोड़ लोगों को ग़रीबी की रेखा से ऊपर उठाया गया।

यूएनडीपी रिपोर्ट

युनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) और ऑक्सफ़ोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2005-06 से 2015-16 के बीच भारत में ग़रीबी उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण काम हुए। इस दौरान लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवन स्तर, कामकाज के मामले में काफी प्रगति हुई। रिपोर्ट के अनुसार 65 देशों में मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इनडेक्स में गिरावट आई है। लेकिन इस दिशा में भारत में सबसे अच्छा काम हुआ।

यूएनडीपी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत उन चार देशों में हैं, जहां 2005-2015 के 10 सालों में ग़रीबों की संख्या आधी रह गई। यहाँ ग़रीबी रेखा से ऊपर आने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा है।

यूएन में भारत की तारीफ

इस रिपोर्ट में ओपीएचआई की सबीना अल्कायर ने कहा कि कोरोना के पहले तक इस दिशा में भारत में जो काम हुआ था, उस पर अब ख़तरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, विकास पर कोरोना का काफी असर पड़ा है। पर उम्मीद बची हुई है। पहले के अनुभवों के आधार पर यह कोशिश की जा सकती है कि करोड़ों लोगों का जीवन स्तर उठाया जा सकता है।

यूएनडीपी में ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट के निदेशक पेड्रो कॉन एईको ने कहा कि कोरोना और जलवायु परिवर्तन का असर ग़रीबों पर पड़ेगा, यह असर कई स्तरों पर होगा, इसलिए ग़रीबी से निबटने और इसमें कमी करने के उपाय अपनाने की ज़रूरत है।

यूएनडीपी की रिपोर्ट के अनुसार, 107 देशों में 1.3 अरब लोगों में से 22 प्रतिशत अभी भी ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।

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