सरकार टेस्टिंग को लेकर कितनी लापरवाह है और आपको कितना मूर्ख समझ रही है है वो आपको इस पोस्ट को पूरा पढ़ने से पता चल जाएगा लाकडाउन् के एक दिन बाद याने 25 मार्च को गोदी मीडिया रिपोर्ट करता है कि सरकार ने देश में कोरोना मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दक्षिण कोरियाई बायोटेक फर्म, सीजेन द्वारा निर्मित फ़ास्ट टेस्टिंग किट को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी), पुणे द्वारा मान्य किया गया है।
रकार ने नए टेस्टिंग किटों की अनुमति प्रक्रिया को भी तेज कर दिया है, जिन्हें अभी यूस (एफडीए) या ईयूए-सीई (यूरोपीय) द्वारा भी अनुमोदित नहीं किया गया है। और सरकार पुणे में फास्ट-ट्रैक से यह सब काम कर रही है जिसमें 14 टेस्टिंग किटों का मूल्यांकन हो चुका है, जिसमें से तीन किटों ने 100% रिजल्ट दिए हैं और देश भर में सरकारी और ICMR से मान्य निजी लेब द्वारा उपयोग किया जा सकता है
30 मार्च को खबर आती है कि भारत खराब क्वालिटी के चलते चीन से टेस्टिंग किट का आयात नही करेगा और वो कोरिया और अन्य देशों से फ़ास्ट टेस्टिंग किट्स आयात करेगा लेकिन 12 अप्रेल को खबर आती है कि 5 लाख टेस्टिंग किट्स अमेरिका की और डायवर्ट हो गई है और टेस्टिंग किट की भारी कीमत और डिलीवरी मे देरी के चलते 14 अप्रेल को सरकार मेक इन इंडिंया के तहत देश में ही इसका उत्पादन की अनुमति देती है तो सबसे बड़ा सवाल क्या सरकार 1 महीने से सो रही थी
आज खबर। आती है सरकार चीन से 6.5 लाख किट का आयात करने जा रही है तो अब क्वालिटी वाले लॉजिक का क्या होगा छत्तीसगढ़ सरकार ने केवल 337 रु प्लस gst की में 75000 किट्स का टेंडर पारित कर दिया है तो फिर महंगी टेस्टिंग किट का लाजिक का कँहा चला गया ऐसा ही टेंडर तमिलनाडु सरकार ने भी किया है
सुप्रीम कोर्ट पहले निजी लेब को जांच फ्री करने को बोलता है फिर निजी लेब वाले 4000 रु.महंगी किट का हवाला और सरकार के रैम्बर्समेंट की बात कहकर अपील दायर कर देते है और सुप्रीम कोर्ट यह जांच केवल गरीबों को लिए फ्री कर देता है सरकार तब भी चुप रहती है और टेस्टिंग को लेकर अपनी कोई स्पष्ट नीति की घोषणा नहीं करती है
वास्तव में भारत को तत्काल 44 लाख टेस्टिंग किट की आवश्यकता थी सरकार यह बात शुरू से जानती थी 21 मार्च से वो लाल फीताशाही में उलझी रही और टेस्टिंग की महत्वता जानते हुए भी घोर लापरवाही करती रही है रोज नए नए बहाने दिए जा रहे है लेकिन टेस्टिंग को लेकर कोई रोडमेप क्यो नही दिया जा रहा है
प्रधानमंत्री जब 219 टेस्टिंग सेन्टर को लेकर अपनी सरकार की पीठ ठोक रहे है तो उन्हें एक व्हाइट पेपर निकालना चाहिए ताकि टेस्टिंग को लेकर पूरा सच सामना आ जाये गोदी मीडिया यह सवाल सरकार से नही पूछेगी वो आपको जमाती और मरकज में ही मूर्ख बनाती रहेगी पर आप मूर्ख मत बनिये सरकार से सवाल पूछिये ..क्या पता जैसे कुंभकर्ण जाग गया वैसे एक दिन सरकार भी जाग जाए…जागते रहो..
अपूर्व भारद्वाज