Privatisation of public sector banks: सरकार पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक में बड़ी हिस्सेदारी रखती है और अब इसे बेचना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की योजना कई सरकारी बैंकों का निजीकरण करने और कुछ बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर बड़ा बजट फंड की है।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के कम से कम 4 बड़े सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया तेज कर दी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पीएमओ ने अधिकारियों से कहा है कि इन बैंकों की हिस्सेदारी को बेचने की प्रक्रिया तेज की जाए। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने बताया कि सरकार पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक में बड़ी हिस्सेदारी रखती है और अब इसे बेचना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की योजना कई सरकारी बैंकों का निजीकरण करने और कुछ बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर बड़ा बजट फंड की है। इसकी वजह यह है कि टैक्स कलेक्शन में कमी के चलते सरकार बैंकों आर्थिक संकट का सामना कर रही है।

सूत्र के मुताबिक पीएम कार्यालय की ओर से वित्त मंत्रालय को इस महीने की शुरुआत में पत्र लिखा गया है, जिसमें इस फाइनेंशियल ईयर में इन 4 बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने की बात कही है। इससे स्पष्ट है कि सरकार अगले साल मार्च, 2021 तक इन बैंकों का निजीकरण कर सकती है। सूत्र ने कहा कि बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और फिलहाल इस पर चर्चा की जा रही है। हालांकि अब तक सरकार की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन बीते दिनों एक और रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि सरकार देश के करीब आधा दर्जन बैंकों का निजीकरण करने के प्लान पर काम कर रही है।

सूत्रों के अनुसार सरकार देश में सिर्फ 4 से 5 सरकारी बैंक ही चाहती है। फिलहाल भारत में 12 सरकारी बैंक हैं, जिनमें केंद्र सरकार की 51 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। इसके अलावा 47.11% हिस्सेदारी आईडीबीआई बैंक में है। इस बैंक में सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी की 51 फीसदी हिस्सेदारी है। बैंकों के निजीकरण की यह प्रक्रिया सरकार ऐसे वक्त में शुरू करना चाहती है, जब देश के दिग्गज सरकारी बैंक एनपीए के संकट से जूझ रहे हैं। हालांकि अब भी निजीकरण की प्रक्रिया को लेकर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है और सरकार इस संबंध में लगातार चर्चा कर रही है।

इसके अलावा कुछ अधिकारियों ने सरकार को सुझाव दिया है कि निजीकरण से पहले इन बैंकों का पुनर्गठन किया जाना चाहिए ताकि इनके नुकसान को कम किया जा सके। इसके निजीकरण सरकार अतिरिक्त स्टाफ को वीआरएस का ऑफर भी दे सकती है। इसी के तहत देश और विदेश में ऐसी शाखाओं को बंद किया जा सकता है, जो घाटे में चल रही हैं।

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