आपको बता दें कि योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के बाराबंकी(Barabanki) जिले की रामसनेहीघाट तहसील के अंतर्गत बनी एक 100 साल पुरानी मस्जिद को यूपी प्रशासन ने ढहा दिया है। वही यह खबर पूरे राज्य में कुछ ही देर के अंदर पूरी फैल गई। एक तरफ जहा मुस्लिम समुदाय ने नाराजगी व्यक्त की और साथ ही मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव को जानकारी दी गयी है। वहीं दूसरी तरफ प्रशासन का ये कहना है कि वो मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई थी।
जानिए क्या कहना है धर्मगुरु का
वही इस पूरे घटना पर मुस्लिम धर्मगुरू मो हम्मद साबिर अली का बयान आया है कि 100 साल पुरानी मस्जिद को गिरा दिया गया। साथ ही उन्होंने ये बताया है कि तहसील के अंतर्गत आने वाली इस मस्जिद को बिना किसी कानूनी समस्या के भारी पुलिस बल की मौजूदगी में जमीदोज कर दिया गया। यह मस्जिद 100 साल पुरानी थी और साथ ही उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड से मान्यता प्राप्त थी। जबकि इसके साथ ही किसी तरह का कोई कानूनी विवाद भी नहीं है। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए संबंधित अधिकारियों को हटाने के साथ पुननिर्माण की मांग की है।
सोशल एक्टिविस्ट का भी बयान आया सामने
बता दे कि इस पूरे मसले से जुड़े एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया है कि मार्च महीने में उपजिलाधिकारी ने मस्जिद कमेटी से मस्जिद से जुड़े सभी कागज़ात भी मांगे थे। वही मस्जिद कमेटी ने उपजिलाधिकारी कागजात मांगने के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वही अदालत ने 15 दिनों के अंदर समिति से इसका जबाब भी मांगा है।
बता दे कि इसके बावजूद बगैर किसी जानकारी के एकतरफा तौर प्रशासन ने मस्जिद को जमीदोज करने का कदम उठाया है, जो कि बिल्कुल भी उचित नहीं है। हम चाहते हैं कि जिन अफसरों ने यह हरकत की है उनको हटाया जाए। साथ ही मस्जिद के मलबे को वहां से हटाने की कार्य वाही को रोककर और साथ ही पुननिर्माण की मांग की है। मस्जिद की जमीन किसी और को न दी जाए और न ही कही और मस्जिद का निर्माण करवाया जाए। यह मुसलमानों की जमीन हैं उन्हें वापस मिलनी चाहिए।
जानिए जिलाधिकारी ने इस पर क्या कहा
डी.एम. डॉ आदर्श सिंह का इस पूरे मामले पर कहना है कि तहसील परिसर में उपजिला मजिस्ट्रेट के आवास के सामने अवैध रूप से मस्जिद बनाई गई थी। कोर्ट ने संबंधित लोगो को मालिकाना हक के लिए 15 मार्च 2021 को नोटिस भेजकर सुनवाई का मौका भी दिया था। लेकिन इसके बाद ही उस आवासीय परिसर में रह रहे लोग, उसे छोड़कर भाग गए। बता दें कि कोर्ट में सुनवाई के वक़्त यह साबित हुआ कि उस परिसर में मौजूद मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई थी।
बता दे कि इसी आधार पर उपजिलामजिस्ट्रेट रामसनेहीघाट न्यायालय में न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत पारित आदेश का अनुपालन 17 मई 2021 को कराया गया है और साथ ही उस बिल्डिंग पर भी कार्य वाही की गई।