वैश्विक माहवरी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा लॉक डाउन का अचानक लिए गए फैसला फैसले ने कई जिंदगियों निकलने वाली प्रवासी मजदूर अपने घर जाना चाहते थे लेकिन उन्हें कोई साधन उपलब्ध नहीं कराया गया सैकड़ों किलोमीटर चलने भूख प्यास और गर्मी के कारण उनमें से कई प्रवासी मजदूर मौत हो गई जिसे लेकर जब संसद में विपक्ष ने सरकार से सवाल किया तो बरही गैर जिम्मेदाराना अंदाज में जवाब मिला पता नहीं।

यानी सरकार के पास वह आकरें ही नहीं है कि कितने मजदूरों के घर जाते समय मौत हो गई इस मसले को लेकर विपक्ष तो सरकार से सवाल कहा था कि अब गुजरात हाई कोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई है कोर्ट ने कहा है कि कोविड-19 के मौत तो और कोविड-19 सकारात्मक मामलों के सही सही आंकड़ों का खुलासा करना आवश्यक है ताकि लोग इस स्थिति को गंभीरता से समझने में सक्षम हो सके, इसे निश्चित रूप से बड़े पैमाने पर समाज पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा इस पहलू को इस न्यायालय के सुझाव के रूप में राज्य सरकार द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो सार्वजनिक हित में सही नहीं है।

जब मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है एक प्रसिद्ध पोर्टल का दावा है कि सरकार के पास आंकड़ों हैं लेकिन फिर भी सरकार उन आंकड़ों को संसद में पूछे जाने पर नहीं बता रही है जाहिर है ऐसा करने पर सरकार खुद सवालों के कटघरे में आ जाएगी क्योंकि उस दौर में कई मजदूर बेमौत मारे गए हैं अब देखना यह होगा कि विपक्ष के बाद अब गुजरात हाईकोर्ट से केंद्र सरकार कैसे निपटेगी केंद्र सरकार अब आंकड़े जारी करेगी या यूं ही इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल देगी।

सरकार की असफलताओं को लेकर ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने उसे गहरा है राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मजदूर मारे गए कितनी नौकरियां गई तुमने नागिना तो क्या मौत ना हुई हां मगर दुख है सरकार पर असर ना हुई उनका मरना देखा जमाने ने एक मोदी सरकार है जिसे खबर ना हुई।

बाद में एक और ट्वीट कर राहुल गांधी ने कहा प्रतिकूल डाटा मुक्त मोदी सरकार थाली बजाने दिया जलाने से ज्यादा जरूरी है उनकी सुरक्षा और सम्मान मोदी सरकार उन कोरोना वौरियास का इतना अपमान क्यों?

संसद छत्र के चौथे दिन राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में महामारी के दौरान कितने स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हुए और कितनों की जान गई अभी यह डाटा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है करोना महामारी के दौरान सैकड़ों डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी अपनी अपनी जवान गवा चुके हैं।

मोदी सरकार पहले ही कह चुकी है कि तालाबंदी के दौरान मार्च के बाद कितने प्रवासी मजदूर की जान गई उसकी कोई आंकड़ा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है और अब स्वास्थ्य कर्मियों को लेकर भी ऐसी ही बात सरकार के द्वारा कहा गया।

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