सुशांत केस में अपनी बयानबाजी से सुर्खियों में आए बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की चुनावी हसरतें एक बार फिर चकनाचूर हो गईं. जेडीयू से उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिल पाया. खाकी का दामन छोड खादी का दामन थामा था. जिसके बाद उन्होंने नीतीश कुमार की पार्टी JDU में शामिल होकर फिर से बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे.

इसी बीच JDU ने उन्हें टिकट न देकर उनके उम्मीदों पर पानी फेर दिया या यूं कहें कि JDU ने उनकी औकात दिखा दी. डीजीपी के पद पर रहते हुए अपनी दबंग छवि बनाकर उन्होंने सियासी राह पकड़ने की पुरजोर कोशिश की लेकिन उनकी सारी कोशिशें धरी की धरी रह गई . रॉबिनहुड पांडेय की उनकी छवि भी उनके सियासी करियर में किसी काम नहीं आ सकी.

आपको बता दे कि गुप्तेश्वर पांडेय ने नीतीश कुमार की मौजूदगी में पार्टी जॉइन की थी. परन्तु बीजेपी और जदयू के बीच सीटों के बंटवारे में बक्सर का सीट बीजेपी के खाते में चली गई और बीजेपी ने बक्सर से अपने उम्मीदवार को मौका दे दिया

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद बिहार के डीजीपी ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री पर टिप्पणी करने की औकात रिया चक्रवर्ती की नहीं है. इसके साथ ही डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर ख़ुशी जताते हुए कहा था कि बिहार पुलिस ने जो भी किया, वो सही था और क़ानून के दायरे में था.

पत्रकारों ने गुप्तेश्वर पांडे से रिया चक्रवर्ती के उस बयान के बारे में पूछा था, जिसमें रिया ने बिहार पुलिस की जाँच में राजनीति की बात की थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी ज़िक्र किया था. रिया चक्रवर्ती ने बिहार पुलिस की जाँच पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी.

वही अब यह भी कहा जा रहा है कि इससे पहले भी 2009 में डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने चुनाव से पहले VRS लेकर चुनाव लड़ने का मन बनाया था. तब भी उन्हें JDU से टिकट की उम्मीद थी. परन्तु गुप्तेश्वर पांडेय को टिकट नही मिली जिसके बाद वो वापस नौकरी पर आ गए.

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