सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व प्रमुख न्यायाधीश रंजन गोगोई (Chief Justice of India Ranjan Gogoi) के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है. इस याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई के कार्यकाल के दौरान उनके कामकाज की इन-हाउस जांच हो.

 सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा कि ये याचिका दो साल पहले दाखिल हुई थी और एक साल से इस पर सुनवाई की मांग भी नहीं की गई है. सुनवाई कर रही जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने कहा कि जस्टिस गोगोई रिटायर हो गए हैं और अब ये याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है. बता दें कि पूर्व सीजेआई अब राज्यसभा सांसद हैं. 

जस्टिस मिश्रा की बेंच ने इस जनहित में दाखिल की गई याचिका को ‘गैरजरूरी’ बताते हुए कहा कि इसपर पिछले दो सालों से एक बार भी सुनवाई की मांग नहीं की गई है. इस बेंच में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्णा मुरारी भी थे. जजों ने याचिकाकर्ता से पूछा कि ‘आपने पिछले दो सालों में सुनवाई के लिए दबाव क्यों नहीं डाला? चूंकि पूर्व सीजेआई ऑफिस छोड़ चुके हैं, अब यह याचिका व्यर्थ हो चुकी है.’

बेंच ने याचिकाकर्ता अरुण रामचंद्र हुबलीकर से कहा कि वो इस याचिका की सुनवाई नहीं कर सकते. हुबलीकर ने पूर्व सीजेआई के कार्यकाल में उनके कामकाज को लेकर आरोप लगाए थे और इसे लेकर इन-हाउस जांच की मांग की थी. उन्होंने गोगोई के कार्यकाल में कथित ‘अनियमितताओं’ की जांच करने की मांग की थी. हालांकि पीठ ने जवाब दिया, ‘माफ कीजिए, हम इस याचिका पर विचार नहीं कर सकते हैं.’

उन्होंने जस्टिस मिश्रा की बेंच के सामने दावा किया कि उन्होंने शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल से याचिका को लिस्ट करने के आग्रह के साथ मुलाकात की थी, लेकिन उनकी याचिका सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं की गई.

बता दें कि जस्टिस (रिटायर्ड) गोगोई पिछले 17 नवंबर को रिटायर हो गए थे. उन्होंने ही दशकों से खिंचे आ रहे संवेदनशील अयोध्या मुद्दे पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था.

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