आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट(Supream Court) द्वारा गुरुवार को कुछ महीने पहले ही 2 मई को जारी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम के दिन दोनों पार्टियों के बीच शुरू हुई अव्यवस्था के वजह से पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार(Central govt.) द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए गुरुवार को सहमत हो गया। याचिका में केंद्र के द्वारा राज्य में सामान्य स्थिति लाने कि बात कही गई है। इसके साथ ही साथ याचिका में पश्चिम बंगाल में फैली अशांति के वजह से जांच के लिए एक SIT गठित करने की मांग की गई है।

टीएमसी को नोटिस जारी

न्यायमूर्ति विनीत सरन(Vinee Saran) और साथ ही न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी(Dinesh Maheshwari) कि अगुआई में याचिका पर केंद्र, पश्चिम बंगाल(West Bengal) और साथ ही भारत के चुनाव आयोग को नोटिस दिया गया है। वही इस याचिका में राज्य सरकारों से भी नुकसान का पता लगाने के बाद उनके परिवार के सदस्यों को पैसे देने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री की तरफ से जारी अधिवक्ता और साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र सिंह ने कहा कि “याचिका पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई अ शांति को रोकने के लिए है। पीठ ने कहा, हम प्रतिवादी संख्या 1, (भारत संघ), प्रतिवादी संख्या-2 (पश्चिम बंगाल सरकार) और प्रतिवादी संख्या 3 (भारत निर्वाचन आयोग) को नोटिस जारी कर रहे हैं। प्रतिवादी संख्या 4 – तृणमूल कांग्रेस पार्टी(टीएमसी) के अध्यक्ष के रूप में ममता बनर्जी।”

टीएमसी सत्ता में बने रहने के लिए कुछ भी करने को है तैयार

एक याचिका जो कि अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन(Vishnu Shankar Jain) के माध्यम से दायर किया गया है। जिसमे कहा गया है कि जनहित याचिका असाधारण समय में दायर की गई है। क्योंकि पश्चिम बंगाल के हजारों निवासियों को विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) का समर्थन करने के लिए टीएमसी पार्टी(TMC Party) के द्वारा परेशान किया गया था। याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल(West Bengal) के उन सभी नागरिकों के फायदे की वकालत कर रहे हैं, जो कि ज्यादातर हिंदू हैं और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को चाहने वाले हैं। किसी अन्य भावना से प्रेरित होकर मुसलमानों के द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा है। ताकि आने वाले समय में सत्ता उनके ही हाथों में रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं केंद्र को निर्देश

भारत की संप्र भुता और साथ ही अखंडता को बचाने के लिए केंद्र सरकार(Central Govt. को अनुच्छेद 355 और साथ ही अनुच्छेद 356 द्वारा प्रदान अपनी शक्ति का प्रयोग करने करने का निर्देश दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि 2 मई को पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद, टीएमसी कार्यकर्ताओं और साथ ही उनके समर्थकों ने जो काम किया वो बिल्कुल भी ठीक नहीं था।

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