सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रेलवे ट्रेक के पास बसे 48 हजार गरीबों के झुग्गी झोपड़ियो को तोड़ने का आदेश आया. जिसके बाद देश भर में इसे लेकर एक चुप्पी सी रही वही महाराष्ट्र में कंगना रणौत के एक अवैध रूप से निर्मित ऑफिस को तोड़ने पर भारतीय जनता पार्टी और मीडिया को बहुत परेशानी हुई.

दिल्ली में 48 हजार अवैध झोपड़िया अगले तीन महीनों में हटाई जाएंगी सुप्रीम कोर्ट का आदेश है. रेलवे लाइन लगी हुई है रेलवे की जमीन पर परसों से लोगों को कहां बसाया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के साथ जगहों पर 48 हजार गैरकानूनी झुग्गियां हैं. जिसको सुप्रीम कोर्ट ने हटाने का आदेश दिया है.

अक्टूबर 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव पास किया था कि दिल्ली में 1728 अवैध कॉलोनियों को नियमित किया जाएगा उन पर मात्र 0.5 फीसदी रजिस्ट्री फीस लगेगी. दिल्ली विकास प्राधिकरण को आदेश दिया गया था कि ऐसी कॉलोनियों का सर्वे करें जो जनवरी 2015 तक अस्तित्व में आई थी. कैबिनेट ने एक बिल को मंजूरी दी थी जिसके तहत 175 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 1728 बस्तियों को नियमित किया जाना था और 40 लाख लोगों को फायदा पहुंचाने का दावा किया गया था.

तब शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने अपने कार्यालय में लाभार्थियों को बुलाकर प्रमाण पत्र दिए थे. उम्मीद है यह प्रक्रिया अभी चल रही होगी लेकिन ताजा स्थिति क्या है कितने लोगों ने रजिस्ट्री कर ली इसकी पुष्टि नहीं हुई. लेकिन आप ही सरकार चुनाव आना है दिल्ली चुनाव में सरकार का प्रस्ताव पास करता है कि 1728 बस्तियों को नियमित करेंगे.

दिल्ली में 140 किलोमीटर की पटरियों पर हजारों अवैध झुग्गियां बनी है. ट्रैक के किनारे हजारों झुग्गियों के कारण तमाम प्लास्टिक कचरा और मौत होने से सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को 3 महीने के भीतर अवैध झुग्गियों को हटाने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी अदालत झुग्गी झोपड़ियों को हटाने पर कोई स्टे ना दे. रेलवे सुरक्षा जोन में 3 महीने के अंदर अतिक्रमण हटाया जाए. अतिक्रमण हटाने के काम में किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भी रेलवे ने सधी प्रतिक्रिया दी है –

उत्तरी रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट का जो भी आदेश है उसका पालन किया जाएगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here