असम में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों (Assam Assembly Election) को लेकर अभी से सुगबुगाहट तेज हो गई है. असम (Assam) के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस (Congress) नेता तरुण गोगोई (Tarun Gogoi) ने दावा किया है कि अगले विधानसभा चुनाव में पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) बीजेपी के सीएम पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. गोगोई ने कहा कि मुझे खबर मिली है कि रंजन गोगोई का नाम अगले साल होने वाले असम विधानसभा चुनावों में बीजेपी के सीएम पद के उम्मीदवारों की लिस्ट में है.

कांग्रेस नेता तरुण गोगोई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि असम के विधानसभा चुनाव में रंजन गोगोई को बीजेपी अपना सीएम चेहरा बना सकती है. उन्होंने कहा कि पूर्व चीफ जस्टिस राज्यसभा जा सकते हैं तो वह बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी हो सकते हैं. गोगोई ने कहा अयोध्या में राम मंदिर केस में आए फैसले से बीजेपी रंजन गोगोई से काफी खुश थी. ये सब राजनीति है. रंजन गोगाई ने राज्यसभा जाना स्वीकार कर राजनीति के दरवाजे खोले.

तरुण गोगोई ने कहा कि वह बहुत आराम से मानवाधिकार आयोग या फिर अन्य किसी बड़े संगठन के चेयरमैन हो सकते हैं लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं हैं. यही कारण है कि उन्होंने राज्यसभा से राजनीति में आना स्वीकार किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तरफ से वो विधानसभा चुनाव में सीएम प्रत्याशी नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि उनकी पूरी कोशिश है कि असम में महागठबंधन बने और बीजेपी को किसी भी तरह से रोका जा सके.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। रंजन गोगोई पिछले साल 17 नवंबर को रिटायर हुए थे।

अपने रिटायरमेंट से पहले उन्होंने राम मंदिर पर फैसला सुनाया था। राज्यसभा के लिए रंजन गोगोई का नाम मनोनीत किए जाने पर बहुत सवाल उठे थे. विपक्षी नेताओं का कहना था कि कि गोगोई को ये इनाम बीजेपी के हक में कई महत्वपूर्ण फ़ैसले सुनाने के लिए मिला है।

बता दें कि रंजन गोगोई ने बतौर सीजेआई अपने 13 महीने के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फ़ैसले सुनाए हैं। जिनमें राम मंदिर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राफेल मामले में क्लीन चिट दिया जाना प्रमुख है।

अक्टूबर 2018 को भारत के 46वें चीफ जस्टिस बने गोगोई का कार्यकाल लगभग 13 महीने का रहा था। वह 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। इससे पहले वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में चीफ़ जस्टिस थे। चीफ़ जस्टिस रहते हुए उनपर कई गंभीर आरोप भी लगे। चीफ़ जस्टिस की जिम्मेदारी संभालने के सात महीने के भीतर ही अप्रैल में जस्टिस गोगोई पर उनकी पूर्व जूनियर असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।

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