नई दिल्ली: गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर एक तरफ मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है तो वही लोग सरकार को इससे पार पाने का सुझाव भी दे रहे हैं कांग्रेस नेता राहुल गांधी पूर्व वित्त मंत्री अर्थशास्त्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बाद रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी केंद्र सरकार को उस की कारगुजारी को लेकर घेरा है उन्होंने न केवल सरकार की कमियां गिनाई है कैसे सुधारा जाए वह रास्ता भी बताया है.

मोदी सरकार बार-बार कहती है कि हम स्थिति सुधार रहे हैं हालात में बदलाव कर रहे हैं लेकिन अर्थशास्त्र के जानकार ही बार बार कह रहे हैं कि हालात ठीक नहीं है कुछ भी नहीं बदल रहा है. उल्टा आने वाले समय में और बुरा दौर शुरू होने वाला है तमाम रेटिंग एजेंसिया तो बता ही रही है कि सबसे ज्यादा तेजी के साथ उभरने वाली भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी के साथ नीचे जा रहे हैं, वहीं – 23 फ़ीसदी पहुंचे जीडीपी के आंकड़ों ने भी बता दिया कि देश बेहाल हो रहा है मोदी सरकार के राज में बर्बाद हो रहा है.

आज रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी कह दिया कि GDP के आंकड़े सभी को अलर्ट के रहे है, उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को अमेरिका और इटली से भी ज्यादा नुकसान हुआ है. जब इनफॉर्मल सेक्टर के आंकड़े जोड़े जाएंगे तो अर्थव्यवस्था में – 23.9 फ़ीसदी की गिरावट और बदतर हो सकती है.

राजन ने आशंका जाहिर ना सिर्फ सरकार को चेतावनी दी है बल्कि सरकार के राहत पैकेज को भी नाकाफी बताया है उन्होंने कहा कि जब तक हमारी पर काबू नहीं पाया जाता है. तब तक भारत में विवेकाधीन खर्च की स्थिति कमजोर बनी रहेगी सरकार ने अब तक जो राहत दी है वह नाकाफी है सरकार भविष्य में प्रोत्साहन पैकेज देने के लिए आज संसाधनों को बचाने की रणनीति पर चल रही है जो गलत है.

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रघुराम राजन ने कहा कि सरकारी अधिकारी सोच रहे हैं कि बाद में राहत पैकेज देंगे वे स्थिति की गंभीरता को कम आ रहे हैं. जब तक अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हो जाएगा यह पहली बार नहीं है जब आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने सरकार को आगाह किया हो जब जब स्थिति खराब होती है तब तब वो सरकार को चेतावनी देते हैं लेकिन केंद्र पर उसका असर कहा पड़ता है इसी का नतीजा है कि अर्थबवस्था फिसलकर -23 फ़ीसदी पहुंच गई है लेकिन अब भी सरकार कारगर कदम नहीं उठा रही है जिसका हर्जाना जनता को उठाना पड़ रहा है

वित्तमंत्री तो मौजूदा हालात के लिए पहले ही भगवान को जिम्मेदार बता चुकी हैं आपको याद होगा उनका एक्ट ऑफ गॉड वाला बयान और सरकार का रवैया भी ऐसा ही है कि अर्थव्यवस्था के डूबते जहाज का कप्तान कोई नहीं है जिसे बचना है वह खुद तैरने की कोशिश कर ले सरकार कुछ नहीं करेगी.

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20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ढोल पीटा गया था मानो सरकार के मुंह से इसके डिटेल्स निकलते ही जादू से सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी. तब वित्त मंत्री ने बाकायदा 5 किस्तों में धारावाहिक की तरह पेश किया था मोदी जी ने भी इस पर अपने लिए खूब तालियां बजाई थी लेकिन इस राहत पैकेज की हकीकत सबके सामने आ चुकी है. एमएसएमई मजदूरों सबकी हालत खराब है ऐसे में पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की यह सलाह बिल्कुल सही है कि जीडीपी के आंकड़े अर्थव्यवस्था की तबाही का अलार्म है. इसलिए सरकार को अलर्ट हो जाना चाहिए अगर हम अभी नहीं समले तो आगे और दिक्कत होगी.

छोटे कारोबारियों गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की हालत जब तक नहीं सुधरेगी तब तक देश की जीडीपी नहीं बढ़ेगी क्योंकि इस देश के उत्पादक और उपभोक्ता दोनों में इनकी संख्या बहुत ज्यादा है. दो चार उद्योगपतियों के दौलत को बढ़ाने में मदद देकर सरकार कुछ दिनों की राजनीति चमका सकती है. लेकिन देश का विकास दो-चार लोगों की दौलत से नहीं होगा बल्कि लाखों करोड़ों के आर्थिक संकट दूर होने से ही होगा।

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