भारत में इन दिनों कृषि बिल अध्यादेश को लेकर केंद्र सरकार चर्चा में है किसान हर जगह प्रदर्शन कर रहे हैं यूपी से लेकर पंजाब तक और हरियाणा राजस्थान सभी राज्यों में इस बिल को गलत बताते हुए प्रदर्शन हो रहे हैं सरकार इस बिल को कृषि के फायदे के लिए लाई थी केंद्र सरकार बता रही है इससे किसानों को उनके अनाजों का मूल्य बढ़कर मिलेंगे लेकिन किसान इस बातों से सहमत नहीं है किसान को लग रहा है की यह हमारा अधिकार छीना जा रहा है और कुछ पूंजीपतियों को यह अधिकार दिया जा रहा है।

इस बिल को लेकर मोदी सरकार के अपने ही मंत्री इसके खिलाफ है लेकिन सरकार फिर भी नहीं झुक रही है लोकसभा में दो बहुमत की वजह से सरकार ने मोहर लगवा ली लेकिन चुनौती सरकार के सामने यह है की राज्यसभा में इस बिल को कैसे पारित किया जाएगा पास किया जाएगा।

भारत सरकार द्वारा लाइव में बिल का फायदा ही क्या जिनके लिए यह बिल लाया जाए वही इस बिल के खिलाफ हो सरकार यह दावा करते हुए कृषि बिल लोकसभा में लाइ इससे अन्य दताओ का फायदा होगा लेकिन सरकार के इस बिल के खिलाफ अन्य अन्नदाता सड़क पर उतर आया है उसे इस बिल के फायदे कम नुकसान बेशुमार नजर आ रहा है ऐसे बिल का क्या फायदा जिस पर सरकार के मंत्री ही साथ ना हो सरकार की मनमानी अक्सर देश के ही नुकसान दायक साबित होती है लेकिन मोदी सरकार ने कुछ नहीं सोचा कुछ नहीं समझा अपनी धुन में ऐसे बिल्कुल लोकसभा में पास करा दिए जो अन्नदाता फायदेमंद ही नहीं है इसीलिए सदस्य से लेकर संसद तक हंगामा बढ़ता हुआ है।

नेताओं का गुस्सा फूट रहा है चाहे वह सत्तापक्ष से हो या विपक्ष से कृषि संबंधित अध्यादेशो को कानूनी जामा पहनाने संबंधी विधायकों पर विपक्ष विरोध जता ही रहा है बल्कि सरकार की सहयोगी ही तेवर दिखा रहे हैं यहां तक की हरसिमरत कौर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पद त्याग दिया और सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है।

हरियाणा में दुष्यंत चौटाला इसे लेकर मुश्किल में दिख रहे हैं बीजेपी उन्हें लगातार समझाने की कोशिश में जुटी है लेकिन दुष्यंत के ऊपर अन्नदाता का दबाव है वह भी हरसिमरत कौर की तरह फैसला ले और खट्टर सरकार से बाहर निकल आए.

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि दुष्यंत जी हरसिमरत कौर बादल के बाद आप को कम से कम उप मुख्यमंत्री पद से त्याग दे देना चाहिए था आप किसानों से ज्यादा अपनी कुर्सी से जुड़े हुए हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस ने दूध दुष्यंत चौटाला से खट्टर का साथ छोड़ने के लिए भी कहा है।

एक तरफ सरकार पक्ष विपक्ष के विरोध के घेरे में है तो वही अब अपने बचाव में भी उतर आई है बिल को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा सरकार साफ नियत के साथ बिल को लेकर आई है यह अन्नदाताओं के हित में है शादी बिल का विरोध करने वालों से बोले जिनको राजनीति करना है वह राजनीति कर सकते हैं भारत सरकार कृषक के हित के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री खुद किसी भी जिक्र करते हुए विपक्ष पर जमकर बरसे और कहां की कुछ दल अन्नदाता को भ्रमित कर रहे हैं इससे साफ जाहिर होता है दिल के इस ग्रुप से कोई फर्क नहीं पड़ता भारी विरोध के बाद भी केंद्र सरकार अपने कदम पीछे खींचने के मूड में नहीं है लेकिन अब देखना होगा कि सरकार यह बिल राज्यसभा में पास करवा पाती है या नहीं।

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