दिल्ली हिंसा से जुड़े एक मामले में आतंकवाद विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार एक जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी की गर्भवती छात्रा सफूरा जरगर को सरकार द्वारा “मानवीय आधार” पर विरोध नहीं करने के बाद आज उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी।
फरवरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़के दंगों को लेकर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत सफुरा ज़रगर को गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सफुरा जरगर को उन गतिविधियों में शामिल नहीं होने का निर्देश दिया है जो जांच में बाधा बन सकती हैं। साथ ही वह भी बिना अनुमति के दिल्ली नहीं छोड़ सकती।
सफुरा ज़रगर को 15 दिनों में कम से कम एक बार फोन पर एक जांच अधिकारी के संपर्क में रहना होगा और 10,000 रुपये के निजी बॉन्ड को भी प्रस्तुत करना होगा।
जामिया विश्वविद्यालय में एम.फिल की छात्रा 23 सप्ताह की गर्भवती है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मानवीय आधार पर उनकी जमानत का विरोध नहीं किया।