अदालत की अवमानना मामले का सामना कर रहे वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा है कि ‘अब सुप्रीम कोर्ट इस बात की जांच करना चाहता है कि एक भ्रष्ट जज को भ्रष्ट कहना क्या कोर्ट की अवमानना है, यदि आपके पास इसके सबूत हैं तब भी? यह भी ऐसे समय जब सच से अवमानना के आरोपों से बचाव किया गया!’ अपने एक अन्य ट्वीट में प्रशांत भूषण ने लिखा कि ‘यदि एक भ्रष्ट जज को भ्रष्ट नहीं कह सकते हैं तो जज के खिलाफ महाभियोग कैसे होगा। जो कि एक भ्रष्ट जज को हटाने के लिए संविधान प्रदत्त प्रक्रिया है। क्या जज को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों के खिलाफ भी कोर्ट की अवमानना के आरोप लगेंगे?’
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2009 में प्रशांत भूषण द्वारा दिए गए बयान पर उनकी क्षमा याचिका स्वीकार नहीं की है। दरअसल प्रशांत भूषण पर अपने बयानों से कोर्ट की अवमानना करने का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो भूषण के बयान को इस कसौटी पर कसेगा कि क्या यह सर्वोच्च अदालत की अवमानना करता है या नहीं। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि अवमानना के मामले में आगे सुनवाई की जरुरत है। प्रशांत भूषण ने साल 2009 में अपने एक बयान में कथित तौर पर कहा था कि पूर्व के 16 में से आधे चीफ जस्टिस भ्रष्ट थे। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 17 अगस्त को सुनवाई करेगा।
शीर्ष अदालत ने 4 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई करते हुए प्रशांत भूषण और तरुण तेजपाल को स्पष्ट किया था कि यदि उसने इस मामले में उनका स्पष्टीकरण या माफी स्वीकार नहीं की तो वह आगे सुनवाई करेगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि वह बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी को प्रतिबंधित नहीं करना चाहती है लेकिन अवमानना के संबंध में इसमें बहुत बारीक सा भेद होता है।
बता दें कि प्रशांत भूषण एक और अवमानना मामले का सामना कर रहे हैं। दरअसल उन्होंने मौजूदा चीफ जस्टिस एसए बोबडे की एक तस्वीर पर तीखी टिप्पणी की थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कोर्ट में दिए अपने जवाब में कहा था कि चीफ जस्टिस की स्वस्थ आलोचना अवमानना नहीं है।