यह वही नरेंद्र मोदी है जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में दौरान 2 करोड़ रोजगार देने की बात कही थी पर आज हालत यह है कि 10 करोड़ लोगों के रोजगार चले गए. वह तो देश के गोदी मीडिया का भला हो कि सरकार के नाकामियों को जनता के सामने नहीं आने दे रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के ग्रैंड फिनाले (Grand Finale of Smart India Hackathon 2020) को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति की विशेषताओं का उल्‍लेख करते हुए कहा कि यह नौकरी करने वाला के बजाय नौकरी देने वाला बनाने पर जोर देती है। यह हमारी सोच और अप्रोच में बदलाव लाने का एक प्रयास है। नई शिक्षा नीति से भारत की भाषाएं आगे बढ़ेंगी और उनका विकास होगा। यह भारत के ज्ञान को और आगे बढ़ाएगी।

ऐसी चुनौती नहीं जिससे हमारे युवा टक्कर ना ले सकें

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के गरीब को एक अच्‍छा जीवन देने के लक्ष्य को हासिल करने में आप सभी युवाओं की भूमिका बहुत अहम है। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि देश के सामने आने वाली ऐसी कोई चुनौती नहीं है जिससे हमारा युवा टक्कर ना ले सके और उसका समाधान ना खोज सके। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के जरिए बीते वर्षों में अद्भुत आविष्‍कार देश को मिले हैं। मुझे पूरा यकीन है कि इस हैकाथॉन के प्रतिभागी युवा साथी, देश की जरूरतों को समझते हुए, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, नए-नए समाधानों पर काम करते करेंगे।

हर चुनौतियों पर खरा उतरा है हमारा युवा

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति में एक ओर जहां स्थानीय लोक कलाओं, विद्याओं और ज्ञान को स्वभाविक स्थान देने की बात है तो दूसरी ओर शीर्ष वैश्विक संस्‍थानों को भारत में कैंपस खोलने का आमंत्रण भी है। देश की युवा शक्ति पर मुझे हमेशा से बहुत भरोसा रहा है। देश के युवाओं ने बार-बार इसे साबित भी किया है। हाल ही में कोरोना से बचाव के लिए फेस शील्ड्स की डिमांड एकदम से बढ़ गई थी। इस मांग को थ्री डी प्रिंटिंग टेक्नॉलॉजी के साथ पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर देश के युवा आगे आए।

भारत की समृद्ध भाषाओं को मिलेगी मजबूती

पीएम मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति से दुनिया का भी भारत की समृद्ध भाषाओं से परिचय होगा। एक बहुत बड़ा लाभ ये होगा की विद्यार्थियों को अपने शुरुआती वर्षों में अपनी ही भाषा में सीखने को मिलेगा। वैसे भी आज जीडीपी के आधार पर विश्व के शीर्ष 20 देशों की सूची देखें तो ज्यादातर देश अपनी गृहभाषा, मातृभाषा में ही शिक्षा देते हैं। ये देश अपने देश में युवाओं की सोच और समझ को अपनी भाषा में विकसित करते हैं और दुनिया के साथ संवाद के लिए दूसरी भाषाओं पर भी बल देते हैं।

नौकरी देने वाला बनाने पर जोर

हमारे देश में स्थानीय भाषा को अपने हाल पर ही छोड़ दिया गया। उसे पनपने और आगे बढ़ने का मौका बहुत कम मिला। अब एजुकेशन पॉलिसी में जो बदलाव लाए गए हैं, उससे भारत की भाषाएं आगे बढ़ेंगी, उनका और विकास होगा। ये भारत के ज्ञान को तो बढ़ाएंगी ही, भारत की एकता को भी बढ़ाएंगी। नई शिक्षा नीति नौकरी करने वाला बनाने के बजाय नौकरी देने वाला बनाने पर बल देती है। यह हमारी सोच और अप्रोच में रिफॉर्म लाने का प्रयास है। शिक्षा व्यवस्था में अब एक सिस्टमैटिक रिफॉर्म, शिक्षा का इंटेंट और कंटेंट दोनों को बदलने करने का प्रयास है।

सीखना, सवाल करना और हल करना ना छोड़ें

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी और देश के महान शिक्षाविद डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर कहते थे कि शिक्षा सभी की पहुंच में होनी चाहिए। नई शिक्षा नीति इसी विचार के प्रति समर्पित है। मौजूदा वक्‍त सीखने, रिसर्च करने और इनोवेशन पर फोकस करने का है। नई शिक्षा नीति में ऐसे ही प्रयास किए गए हैं। मैं युवाओं को तीन चीजों को नहीं छोड़ने की अपील करता हूं- सीखना, सवाल करना और हल करना…

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