नई दिल्ली : देशभर में 1 सितंबर से 6 सितंबर के बीच इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा यानी जेईई मेन परीक्षा 2020 का आयोजन किया गया लेकिन परीक्षा को लेकर बवाल भी जमकर हुआ. जिसके बाद आप परीक्षा के लिए पंजीकृत और सम्मिलित हुए उम्मीदवारों की संख्या की जानकारी सामने आई है. यह जानकारी खुद शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दी है.

सितंबर महीने के शुरुआत में 1 सितंबर से 6 सितंबर तक देश भर में इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई मेन परीक्षा 2020 का आयोजन किया गया पहले देशभर में परीक्षा को लेकर बवाल जारी रहा फिर ऐसे तैसे परीक्षा का आयोजन किया गया तो पूरी तरीके से छात्र परीक्षा केंद्र पर पहुंचे ही नहीं।

यह जानकारी दी है खुद शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि जेईई मेंस परीक्षा के केवल 6.35 लाख उम्मीदवार ही शामिल हुए जबकि 8 लाख 58 हजार आवेदन किए गए थे. शिक्षा मंत्री ने जेईई मेन 2020 परीक्षा से संबंधित या करें बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा बुधवार को 9 सितंबर को सोशल मीडिया पर जेईई मेन परीक्षा के लिए पंजीकरण और सम्मिलित हुए उम्मीवारों की संख्या को लेकर किए गए आलोचनात्मक ट्वीट के जवाब में दिए.

बीजेपी राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर बताया कि 18 लाख प्रवेश पत्र डाउनलोड करने वाली उम्मीदवारों में से 8 लाख ही परीक्षा में शामिल हुए. साथ शिक्षा मंत्री ने पल्ला झाड़ते हुए कहा की जेईई मेन परीक्षा का आयोजन साल में दो बार किया जाता है. पिछले परीक्षा का आयोजन जनवरी में किया गया था. उम्मीदवार जो सितंबर परीक्षा में सम्मिलित नहीं हुए. 9 जनवरी के शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया होगा.

इसलिए उन्हें इस परीक्षा में सम्मिलित होने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई होगी. यह भी कहा कि हमारी एनडीए की सरकार छात्र कल्याण और छात्र सुरक्षा के लिए हमेशा से ही दृढ़ रही है. हम हमेशा ही हमारे युवाओं के हित के लिए कार्य करते रहेंगे. तो यह परीक्षा ना देने वाले छात्रों की संख्या से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एनडीए की सरकार छात्र कल्याण और छात्र की सुरक्षा के लिए कितनी दृढ़ है.

पहले से ही माना जा रहा था कि स्वास्थ्य मुसीबत के बीच छात्र परीक्षा आने के लिए तैयार नहीं है. उन्हें जबरन मजबूर कर रही हैं आज शिक्षा मंत्री ने बताया कि 25 प्रतिशत छात्र परीक्षा से दूर रहे. शामिल भी हुए वह इसलिए नहीं की सरकार के फैसले का समर्थन कर रहे थे बल्कि हालात ऐसे बना दिए गए थे की परीक्षा देना उनकी मजबूरी थी.

आप सरकार स्कूल खोलने की तैयारी कर रही है क्या ऐसे में सरकार को छात्रों की बिल्कुल भी चिंता नहीं है. सरकार तो हमेशा यही दावा करती है कि छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए और स्वास्थ्य की चिंता है. लेकिन सरकार के दावों को सरकार के फैसले ही गलत साबित कर देते हैं. देश इस वक्त कितने मुश्किल दौर से गुजर रहा है यह सरकार अच्छे से जानती है।

इस वक्त किसी भी लोक कल्याणकारी सरकार को ऐसे फैसले लेने चाहिए जो इस मुश्किल वक्त थोड़ी राहत दे सके लेकिन आलम यह है कि सरकार जिस की भलाई के बाद करती है उसका भविष्य दांव पर लगा देती है। मजदूरों की हितैषी बनने वाली सरकार ने एक झ टके में उन्हें बेघर और बेरोजगार करके दर-दर भटकने पर मजबूर कर दिया.

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