पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लद्दाख में तनाव को लेकर बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और घोषणाओं को लेकर सावधान रहना चाहिए. क्योंक इनका देश की सुरक्षा पर असर पड़ता है. साथ ही कहा कि पीएम ऐसे बयान न दें, जिससे चीन की साजिशों को बल मिले. बता दें कि सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि भारतीय सीमा में कोई नहीं घुसा है. इस पर काफी हंगामा हुआ था. बाद में पीएमओ की ओर से इस बारे में सफाई दी गई थी. इसमें कहा गया था कि पीएम मोदी के बयान का गलत मतलब निकाला गया है.

क्या कहा मनमोहन सिंह ने?

15-16 जून को गलवान वैली, लद्दाख में भारत के 20 साहसी जवानों ने सर्वोच्च कुर्बानी दी. इन बहादुर सैनिकों ने कर्तव्य निभाते हुए देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. उनका बलिदान बेकार नहीं जाना चाहिए.

हम इतिहास के एक नाज़ुक मोड़ पर खड़े हैं. हमारी सरकार के निर्णय और कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आंकलन कैसे करेगी.

प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और घोषणाओं को लेकर सावधान रहना चाहिए. क्योंकि उनका देश की सुरक्षा और सामरिक व भूभागीय हितों पर प्रभाव पड़ता है.

चीन ने अप्रैल 2020 से लेकर आज तक भारतीय सीमा में गलवान वैली एवं पैंगोंग लेक में कई बार जबरन घुसपैठ की है. हम न तो उनकी धमकियों और दबाव के सामने झुकेंगे, न ही अपनी भूभागीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे

प्रधानमंत्री को अपने बयान से चीन के षडयंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए. उन्हें यह तय करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामना करने और हालात को ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए मिलकर काम करें.

प्रधानमंत्री को अपने बयान से चीन के षडयंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए. उन्हें यह तय करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामना करने और हालात को ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए मिलकर काम करें.

सरकार को आगाह करते हैं कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति और मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता. पिछलग्गू सहयोगियों की ओर से फैलाए गए झूठ के आडंबर से सच्चाई को नहीं दबाया जा सकता.

नमंत्री व केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वे वक्त की चुनौतियों का सामना करें. और हमारे सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरे. अगर ऐसा नहीं होता है तो यह जनादेश से ऐतिहासिक विश्वासघात होगा

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