Highlights
- कोरोना संकट के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कंपनियों पर अपनी नजर टेढ़ी कर दी है, उन्हें निजी हाथों में सौंपने की चर्चा हो रही है.
- सरकारी कंपनियों के साथ सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां निशाने पर हैं, सरकार बैंको के प्राइवेटाइजेशन का भी प्लान कर रही है.
- बताया जा रहा कि LIC व 1 Non Life Insurance कंपनी को अपने पास रखते हुए बाकी 6 सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां बेची जाएंगी.
- 6 बैंको को छोड़कर बाकी सभी बैंको के निजीकरण की योजना के तहत बैंको में सरकारी हिस्सेदारी चरणों में बेचने का प्रस्ताव बन गया है.
- सबसे पहले बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का निजीकरण संभव है, IOB में सरकारी हिस्सा बिक सकता है.
अब सरकार की नजर सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों और बैंकों के निजीकरण पर सरकार बड़ी तैयारी कर रहे हैं. सीएनबीसी आवाज़ को एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि LIC और एक Non Life Insurence कंपनी को छोड़कर बाकी सभी इंश्योरेंस कंपनियों में सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी किस्तों में बेच सकती है. इधर बैंकों के भी प्राइवेटाइजेशन का भी प्लान है इस पर पीएमओ वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के बीच सहमति बनी है. कैबिनेट ड्राफ्ट नोट भी तैयार है. सीएनबीसी आवाज़ को सूत्रों से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक सरकार इंश्योरेंस कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है.
इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय वित्त मंत्रालय नीति आयोग के बीच चर्चा हो चुकी है. सूत्रों के मुताबिक सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों में पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव है इस प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है यह प्रस्ताव सरकारी कंपनियों के निजीकरण पर बन रही पॉलिसी का हिस्सा होगा. सूत्रों के मुताबिक सरकारी कंपनियों के निजीकरण की पॉलिसी का कैबिनेट ड्राफ्ट नोट तैयार है इस प्रस्ताव के मुताबिक एलआईसी और एक Non Life Insurence कंपनी सरकार अपने पास रखेगी. बता दे कि अभी कुल 8 सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां है एलआईसी के अलावा 6 जनरल इंश्योरेंस और एक नेशनल Reinsurer कंपनी है.
बैंकों का निजीकरण ( 7 बैंकों को निजी हाथों में बेचेगी मोदी सरकार)
केंद्र की मोदी सरकार ने देश के सात और सावजनिक क्षेत्रों के बैंको (PSU) को निजी हाथो में बेचने की तैयारी कर ली है. अगर सब प्लैन के मुताबिक हुआ तो अगले कुछ महीनो तक देश में केवल 5 सार्वजानिक क्षेत्रों के बैंक बचेंगे. केंद्र सरकार (Central Government) योजना के पहले चरण में बैंक ऑफ इंडिया (BOI), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), यूको बैंक (UCO Bank), बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक में मैजोरिटी स्टेक (Majority Stakes) बेचेगी.
रिपोर्ट के अनुसार देश में इससे पहले बैंको को मर्ज किया गया था मगर अब सरकार सीधे सरकारी बैंको का निजीकरण कर घाटा कम करना चाहती है. मोदी सरकार की दलील है की आर्थिक संकट की वजह से सरकार के पास फंड की कमी हो गई है.
सरकार ने पहले ही बता दिया है कि अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय नहीं किया जाएगा. लिहाजा सिर्फ उनके निजीकरण का ही विकल्प बचता है. पिछले साल ही 10 सरकारी बैंकों का विलय कर 4 बड़े बैंक बनाए गए हैं. अगली तैयारी जिन बैंकों का विलय नहीं हुआ है, उनके निजीकरण की है. केंद्र सरकार इसको लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. वित्त विभाग के अधिकारी इसके प्रस्ताव को बनाने में जुटे हुए हैं. जल्द ही कैबिनेट में यह प्रस्ताव रखा जाएगा.