Rakesh Tikait: आपको बता दें कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत देश के और भी कई राज्यों के किसानों का आंदोलन 100 दिन से ज्यादा पूरे कर चुका है। वही इस बीच दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर (सिंघु, टीकरी, गाजीपुर और शाहजहांपुर) पर किसानों का धरना प्रदर्शन लगातार शु्क्रवार को भी जारी है। बता दें कि यहां पर हजारों की संख्या में किसान धरना दे रहे हैं।

जबकि उधर, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यह कहकर राजनीतिक जगत में पूरी तरह से अफरा-तफरी मचा दी है कि बहुत ही जल्द ही भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद इस्तीफा देने वाले हैं। बता दें कि गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के धरना-प्रदर्शन में शामिल राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के धरने के समर्थन में और साथ ही किसानों की समस्या के मद्देनजर रखते हुए बहुत ही जल्द ही भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद इस्तीफा देने वाले हैं। उन्होंने ये भी कहा है कि भाजपा सांसद बहुत ही जल्द अपनी इस्तीफा देकर यूपी गेट आएंगे और उसके बाद हमारे साथ धरना-प्रदर्शन में शिरकत करेंगे।

वही इसके साथ ही गाजीपुर बॉर्डर पर धरने पर जुटे सभी लोगों का राकेश टिकैत ने दिल से धन्यवाद भी किया और ये कहा कि धरने ने सभी को प्रोत्साहित किया है। बता दें कि इस मौके पर किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सबसे बड़ी मंडी संसद है। सभी कानून यहीं पर बनते हैं। इसलिए प्रदर्शनकारियों को संसद में ही जाना होगा।

मुनिरका गांव पहुंचे जेएनयू के 25-30 वामपंथी छात्र-छात्राएं

आपको बता दें कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन के समर्थन में बृहस्पतिवार दोपहर को जेएनयू के 25 से 30 वामपंथी छात्र-छात्राएं अचानक से मुनिरका गांव में पहुंच गए। इसके बाद उन सभी ने ढपली बजाकर पर्चे बांटते और नारे लगाते हुए सभी लोगों को कृषि कानून विरोधी आंदोलन का समर्थन करने की भी अपील करने लगे जिसका की गांव के लोगों और कुछ अन्य भाजपा नेताओं ने भी विरोध किया। भाजपा के आरके पुरम विधानसभा क्षेत्र प्रभारी आनंद सिंह, भाजपा कार्यकर्ता विकास मुद्गल आदि ने छात्रों से प्रदर्शन संबंधी पुलिस का अनुमति पत्र मांगा तो वे लोग अनुमति पत्र को नहीं दिखा सके । वही कुछ ग्रामीण उन्हें जेएनयू के गेट तक छोड़कर आए।

बता दे कि उधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने फिर एक बार नए कृषि कानूनों के समर्थन में अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों से किसानों की आर्थिक स्थिति पहले से ज्यादा मजबूत होगी। उन्होंने ये भी कहा है कि कृषि, देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसे और भी मजबूती देने के लिए किसानों की आमदनी बढ़ाना बहुत ही जरूरी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नए कृषि कानून क्रांतिकारी हैं और ये हर तरह से किसानों के हित में भी हैं। इन्हें लेकर जो भी भ्रांतियां हैं उन पर सरकार आंदोलनकारी किसानों से कभी भी किसी भी समय बातचीत करने के लिए तैयार है।

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