दागी उम्मीदवारों को टिकट देने की रवायत तो पहले से चलती आ रही है लेकिन टिकट ही नहीं दागी लोग देश की संसद पहुंच चुके हैं. और उन पर लगे आरोप ऐसे वैसे नहीं है. बल्कि कई गंभीर आरोप उन पर लगे हुए हैं.
बिहार में इस समय विधानसभा चुनाव के दौरान तमाम पार्टियां दागियों से दूरी बनाने की बात तो कर रही है लेकिन चुनाव जीत की उम्मीद दिखे तो उन्हें गले लगाने के लिए भी तैयार है. ऐसा ही जेडीयू द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची में देखा जा रहा है. मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के मुख्य आरोपी मंजू वर्मा जेडीयू की उम्मीदवार बन चुकी है.
राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के दावे तो सभी पार्टियों की तरफ से किए जाते हैं. लेकिन चुनाव में जीत की संभावना दिखे तो दागियों पर दरियादिली दिखाने में कोई भी पार्टी पीछे नहीं रहता. बात किसी भी पार्टी की हो. हर पार्टी में लिस्ट में ऐसे लोग मिल ही जाएंगे. जो किसी न किसी मामले में आरोपी हैं.
यहां तक की कई लोगों पर आरोपों की लिस्ट कई लंबी है. और इसी रवायत को जेडीयू ने भी कायम रखा है. दरअसल जेडीयू के उम्मीदवारों की सूची में एक चौकाने वाला नाम शामिल है और वह नाम है मंजू वर्मा का. नीतीश कुमार के इस फैसले का आलोचना भी हो रही है. मंजू वर्मा को नीतीश कुमार ने चेरिया बरियारपुर विधानसभा सीट से टिकट देकर पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया है.
आपको बता दें कि यह वही मंजू वर्मा है जिनका नाम मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में आया था. फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं. मंजू वर्मा पर जब आरोप लगे तो पार्टी ने समाज कल्याण विभाग के मंत्री पद से हटा दिया था, और पार्टी से भी निष्कासित कर दिया था. आरोप है कि मंजू वर्मा के नाक के नीचे बालिका गृह कांड होता रहा और वह आंखें मूंदे रही.
मामले में कथित रूप से मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा के भी शामिल होने की बात सामने आई थी. और बालिका गृह कांड की जांच के दौरान मंजू वर्मा के घर पर पुलिस की छापेमारी में अवैध हथियार बरामद किए गए थे. इसके बाद मंजू वर्मा और उनके पति को गिरफ्तार किया गया था और दोनों को जेल भी जाना पड़ा था.
मामला सामने आने के बाद नीतीश कुमार की काफी किरकिरी हुई थी. लेकिन आप पार्टी ने फिर से उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट देकर यह साफ कर दिया है कि नीतीश कुमार को अपनी छवि और समाज की कोई परवाह नहीं है. उन्हें सिर्फ और सिर्फ परवाह है तो अपने मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की.