पश्चिम बंगाल (West Bengal)की भाजपा इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip ghosh) ने अयोध्या में राम मंदिर (Ram mandir) के लिए भूमि पूजन का विरोध करने वालों पर शुक्रवार को निशाना साधा और कहा कि वहां अस्पताल के निर्माण की वकालत करने वालों में समझ की कमी है कि ‘अस्पताल संस्कृति से अधिक मंदिर की संस्कृति की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जो लोग अयोध्या में अस्पताल के पक्ष में बोल रहे हैं, वे खुद ही जनता को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में विफल रहे हैं.

हालांकि, घोष ने किसी पार्टी अथवा व्यक्ति का नाम नहीं लिया. उन्होंने कहा कि जो लोग अपने धर्म के बारे में बोलने से डरते हैं, वे राम मंदिर निर्माण के खिलाफ बोल रहे हैं लेकिन जो लोग अपनी आस्था पर गर्व करते हैं और भगवान राम की पूजा करते हैं, वे इसका समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग मंदिर के बजाय अस्पताल की बात कर रहे हैं, वे लोगों को बरगला रहे हैं. हालांकि, घोष ने किसी पार्टी अथवा व्यक्ति का नाम नहीं लिया.

उन्होंने कहा कि जो लोग अपने धर्म के बारे में बोलने से डरते हैं, वे राम मंदिर निर्माण के खिलाफ बोल रहे हैं लेकिन जो लोग अपनी आस्था पर गर्व करते हैं और भगवान राम की पूजा करते हैं, वे इसका समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग मंदिर के बजाय अस्पताल की बात कर रहे हैं, वे लोगों को बरगला रहे हैं. बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पौराणिक नगरी अयोध्या में भूमि पूजन कर चांदी की ईंट और चांदी के फावड़े से ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ निर्माण की आधारशिला रखी.

इसके साथ ही केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का न सिर्फ एक प्रमुख चुनावी वादा पूरा हुआ बल्कि उस अभियान की समाप्ति भी हो गई जिसके सहारे इस भगवा पार्टी ने राजनीतिक सत्ता के शिखर तक का सफर तय किया. राम मंदिर निर्माण की नींव रखने के बाद मोदी ने कहा कि आज सदियों का इंतजार खत्म हुआ है. इत्तेफाक से पिछले साल पांच अगस्त के दिन ही भाजपा सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त कर विचारधारा से जुड़े अपने एक अन्य प्रमुख वादे को पूरा किया था.

दशकों तक हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का केंद्र रहे श्री राम जन्मभूमि स्थल पर जब मोदी पूजा-अर्चना कर रहे थे, उस वक्त देशभर के लोग अपने घरों में टेलीविजन से चिपके रहे और इस पल के गवाह बने. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद का निपटारा कर श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त किया था.

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