सिंधिया खेमे के दो विधायक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत पहले से शिवराज सरकार में मंत्री के तौर पर शामिल हैं। गुरुवार को होने वाले विस्तार में सिंधिया खेमे से 7-8 और विधायकों को मंत्री बनाए जाने की संभावना है। साथ ही ये खेमा किसी एक वरिष्ठ मंत्री को डिप्टी सीएम भी बनाए जाने की मांग पर अड़ा हुआ है…

लंबे इंतजार के बाद गुरुवार को शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल का विस्तार होने जा रहा है। राज्यपाल लालजी टंडन बीमार हैं और वे लखनऊ में अपना इलाज करा रहे हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्यप्रदेश का भी अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। वे पहले मप्र के प्रभारी राज्यपाल के तौर पर खुद शपथ लेंगीं और बाद में शिवराज सरकार के नए मंत्रियों को शपथ दिलाएंगीं।

प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में पिछले तीन दिनों में कई दौर की बैठक के बाद मंत्रियों की सूची तैयार की है। हाईकमान की मंशा के अनुरूप शिवराज के करीबी कुछ पुराने चेहरों को इसमें जगह नहीं दी जा रही है जबकि कुछ ऐसे वरिष्ठ लेकिन नए चेहरों को मौका दिया जा रहा है जिन्हें शिवराज के 15 साल के शासन के दौरान मौका नहीं मिल पाया था। संगठन में मध्यप्रदेश मामलों के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, इस सूची पर पहले जेपी नड्डा से चर्चा करेंगे और फिर नड्डा और अमित शाह की बैठक में सूची पर अंतिम मुहर लगने के बाद सहस्त्रबुद्धे उसे भोपाल लेकर पहुंचेंगे।

सिंधिया खेमे के दो विधायक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत पहले से शिवराज सरकार में मंत्री के तौर पर शामिल हैं। गुरुवार को होने वाले विस्तार में सिंधिया खेमे से 7-8 और विधायकों को मंत्री बनाए जाने की संभावना है। साथ ही ये खेमा किसी एक वरिष्ठ मंत्री को डिप्टी सीएम भी बनाए जाने की मांग पर अड़ा हुआ है। ऑपरेशन लोटस में अपनी भूमिका के मद्देनजर सिंधिया खेमा सत्ता में भी अपनी बड़ी भागीदारी चाहता है। मौजूदा दो मंत्रियों को कम महत्व के विभाग दिए जाने से सिंधिया खेमा पहले से अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस के निशाने पर है और कुछ समय बाद चुनाव में उतरने के लिए भी उन्हें कोई वजह चाहिए।

संख्या बल के हिसाब से पहले से ही सिंधिया खेमे को मंत्रिमंडल में काफी तवज्जो दी गई है। इस तरह सिंधिया खेमा अपने आप में पहले से एक पॉवर सेंटर बन चुका है। सिंधिया खेमे के दबदबे से पार्टी के पुराने और कद्दावर नेता नाराज हैं लेकिन संगठन के अनुशासन के चलते या तो बोल नहीं रहे हैं या उन्हें चुप करा दिया गया है। अगर सिंधिया खेमे की डिप्टी सीएम की मांग भी मान ली जाती है तो एक और पावर सेंटर बन जाएगा और ऐसे में तमाम गुटों के बीच संतुलन बनाए रखना औऱ मुश्किल हो जाएगा।

सिंधिया की मांग से भाजपा संगठन असहज है और उन्हें मनाने की पूरी कोशिश की जा रही है। शिवराज सिंह चौहान भी नहीं चाहते कि उनके मंत्रिमंडल में कोई डिप्टी सीएम हो क्योंकि इससे उनका दबदबा कम होगा। अगर सिंधिया खेमा डिप्टी सीएम की मांग पर अड़ा रहा तो फिर संतुलन बनाने के लिए भाजपा की तरफ से स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। नरोत्तम मिश्रा को हाल ही में दिल्ली से बुलावा भी आया था और उन्होंने संगठन के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात भी की थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here