केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अब रेलवे कर्मचारियों का दीवाली बोनस रोक दिया है, सरकार के इस फैसले से लगभग 12 लाख कर्मचारियों पर असर पड़ेगा। इससे पहले खबर थी कि भूतपूर्व रेलवे कर्मचारियों की पेंशन देने में भी दिक्कत आ रही है। हालांकि मोदी सरकार के पास अपने लिए दुनिया का सबसे लग्जरी हवाई जहाज खरीदने के लिए पैसा है, लेकिन रेलवे कर्मचारियों के बोनस देने का पैसा नही है।

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गौरतलब है कि कर्मचारियों को हर साल ये बोनस दशहरे से पहले दिया जाता था, लेकिन इस बार कोई उम्मीद नही दिख रही, रेलवे कर्मचारियों के बोनस से संबंधित फाइल रेलवे बोर्ड ने काफी पहले से वित्त मंत्रालय को भेजी हुई है, जिस पर अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। देशभर की रेलवे यूनियन ने तय किया है कि अगर 21 अक्टूबर तक बोनस का ऐलान नहीं किया गया, तो रेलवे कर्मचारी 22 अक्टूबर को दो घंटे तक रेल का चक्काजाम करेंगे।

पिछले साल रेलवे ने अपने प्रत्येक कर्मचारी को 18 हजार रुपए के करीब बोनस दिया था. इस हिसाब से देखें तो लगभग 12 लाख कर्मचारियों को बोनस बांटने के लिए रेलवे को 20 अरब के आसपास रुपये चाहिए, जो पीएम के प्लेन की कीमत 8500 हजार करोड़ के सामने बहुत मामूली है। बोनस कोई खैरात नहीं है, यह उनके हक का पैसा है।

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बोनस के अलावा रेलवे कर्मचारियों की पेंशन पर भी संकट है। रेलवे मंत्रालय के पास तक़रीबन साढ़े 15 लाख रिटायर्ड कर्मचारी हैं। कुछ महीने पहले खबर आई थी कि रेलवे बोर्ड ने पेंशन की रकम के बारे में भी हाथ खड़े कर दिए हैं। रेलवे ने वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह पेंशन के बोझ से उसे मुक्त कराए, क्योंकि वह हर वर्ष अपनी आय से 50 हजार करोड़ रुपये का भुगतान इस मद में हो रहा है।

मोदी सरकार कोरोना संकट से उबरने के लिए अपने कर्मचारियों का महगाई भत्ता रोक दिया है। डीए यानी महंगाई भत्ता जनवरी में 4 प्रतिशत बढ़ा था, जो अब तक नहीं मिल पाया है। जुलाई की घोषणा अभी तक पूरी नहीं हुई है। हालाँकि सरकार ने महंगाई भत्ता को जुलाई 2021 तक के लिए अधिकारिक रूप से घोषणा के बाद फ्रीज कर दिया।

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न बोनस है न महंगाई भत्ता। और तो और अब यह ठिकाना भी नहीं है, कि अगले साल कर्मचारियों को पेन्शन भी मिल पाएगी या नहीं। जिस तरह मोदी सरकार राज्यों को जीएसटी मुआवजा देने से इनकार कर रही है, उसी तरह राज्य कर्मचारियों को कभी भी बोनस महंगाई भत्ता ओर पेंशन देने से भी इनकार किया जा सकता है।

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