मोदी सरकार ने डाला जनता की जेब पर डाका, रेलवे के निजीकरण पर बोले नीति आयोग के अध्यक्ष

नई दिल्ली: मोदी सरकार अपना खजाना भरने के लिए जनता के ऊपर बोझ बढ़ाने में कुरेज नहीं खा रहे हैं. हर तरफ निजीकरण करके अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर बैठ कर पैसा कमाना चाह रही है नीति आयोग ने रेलवे के निजीकरण पर अपनी बात सामने रखी।

जिसमें सरकार के फायदे की बात तो कह दी लेकिन जनता के हित की बात के बारे में कुछ नहीं कहा. यानी हर तरफ से मार तो सिर्फ जनता कोई नहीं है चाहे वह बेरोजगारी हो या फिर निजी करण हो या फिर किसानों का अध्यादेश बिल हो हर तरफ से आम जनता ही परेशान है।

केंद्र सरकार अपने काम को बखूबी अंजाम दे पा रही है ऐसे काम को जिससे जनता का नहीं बल्कि सरकार के प्रतिनिधियों का फायदा हो सरकार निजीकरण को बढ़ावा देकर यह बताने की कोशिश कर रही है कि हम जनता की भला करने जा रहे हैं।

नीति आयोग के चेयरमैन अमिताभ कांत ने रेल मंत्रालय द्वारा ट्रेनों की निजीकरण को लेकर कई बातें कही है एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि रेलवे के इस पहल से देश में आधुनिक तकनीक पर आधारित ट्रेन चला सकेंगे।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन भी शामिल रहे अमिताभ कांत ने बताया कि प्राइवेट कंपनियां रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करेंगी इससे भारतीय रेलवे और निवेशको को भी फायदा होगा।

नीति आयोग के अध्यक्ष ने यह साफ कर दिया इससे किस किस को फायदा होगा लेकिन जनता पर इसका क्या असर पड़ेगा यह नहीं बता पाए।

109 जगहों से शुरू होने वाली प्राइवेट ट्रेनों पर विचार किया जा रहा है यह 12 कलास्टर्स में होगा और जिस में कुल 151 ट्रेन होंगी इन्हें पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बिडिंग के जरिए लाया जाएगा। जिस रूट्स पर पैसेंजर डिमांड कम होगी वही प्रीमियर पैसेंजर सर्विसेस की भी सुविधा दी जाएगी।

सबसे पहले 12 प्राइवेट ट्रेनों को 2023 में शुरू कर दिया जाएगा इसके अगले वित्तीय वर्ष में 45 ट्रेन और शुरू की जाएंगी शुरुआती टाइमलाइन के मुताबिक 2027 तक सभी 151 ट्रेनों को शुरू कर दिया जाएगा।

मोदी सरकार ने यह नहीं बताया कि उसका किराया कौन करेगा आम आदमी पर कितना इसका फर्क पड़ेगा किराए में कितनी बढ़ोतरी होगी इसमें आम जनता को क्या मिलेगा इसकी कोई बात नहीं हुई।

किराए को लेकर नीति आयोग के अध्यक्ष ने कहा प्राइवेट ट्रेन का किराया मार्केट के हिसाब से तय किया जाएगा पैसेंजर्स को वैल्यू ऐडेड सर्विस भी मुहैया जाएगी।

निजीकरण से लगभग की रेलवे को 30 हजार करोड़ रुपए के निजी निवेश आने की उम्मीद है इन सभी सवालों को सरकार ने घुमा फिरा कर जवाब तो दे दिया लेकिन सोचने का विषय यह है कि जब रेलवे ने 30 हजार करोड़ का अनुमान लगा रखा है तो यह पैसा किसकी जेब से जाएगा।

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