कोरोना महामारी के चलते देश में पिछले 50 दिन से देशभर लॉकडाउन जारी है. ऐसे में सबसे ज़्यादा परेशानी श्रमिकों को हुई है. सरकार ने उनका जरा सा भी ख़्याल नहीं रखा.
अब जब 50 दिन बीत गए है तब भी सरकार मज़दूरों को घर पहुँचाने का विश्वास पैदा नहीं कर पा रही है. देश के अलग-अलग हिस्सों से मज़दूरों का पैदल ही पलायन जारी है.
देश की रीड की हड्डी की तरह काम करने वाले मज़दूरों की तरफ़ ना तो केंद्र सरकार ने ध्यान दिया ना ही राज्य सरकार ने. मज़दूर अपने नन्हें बच्चों को लेकर पैदल ही हज़ारों हज़ार किलोमीटर चलने को मजबूर कर दिए गए.
इन मज़दूरों में कई ने अपनी जान गवाई. कईयों ने अपनों को खो दिया. कहीं ट्रेन से कटकर उनकी मौत हो रही है तो कहीं कोई गाड़ी हादसे का शिकार हो रही है. अब तो आलम ये है कि धूप और गर्मी भी गरीब मजदूरों के खून की प्यासी बन गई है.
21 साल का यह नौज़वान मज़दूर हैदराबाद से अपने साथियों के साथ ओडिशा के लिए निकला था. रविवार को ये सभी मज़दूर हैदराबाद से निकले. दिन रात पैदल चलते रहे. करीब 300 किलोमीटर चलने के बाद ये भद्राचलम पहुंचे.
भद्राचलम पहुंचते ही 21 साल के युवक को अचानक सीने में दर्द उठा. इसके बाद उल्टियां होने लगीं. देखते ही देखते यह युवक सड़क पर गिर गया. ये देख साथी मज़दूर घबरा गए और किसी तरह उसे भद्राचलम अस्पताल ले गए.
अस्पताल पहुंचने से पहले ही युवा मज़दूर ने दम तौड़ दिया. डॉक्टरों ने उसे ब्रॉट डेड घोषित कर दिया.
ऐसे हज़ारों मज़दूर है जो रोज़ अपने घर लिए पैदल चल रहे है. मई के महीने की तपती धूप औ लू के थपेड़ों से आख़िर कब तक बचेंगे.
Input: thenewsrepair