यूपी में लोकतंत्र नहीं, पुलिस राज है : संभल ज़िले के बहजोई थाने में बीबीसी संवाददाता को सात घंटे तक हवालात में बंधक बनाकर रखा गया! यूपी में जंगलराज है. पुलिस बेलगाम है. सर्वाधिक पीड़ित पत्रकार हैं. आम आदमी का क्या हाल होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है. संभल जनपद के बहजोई थाने में दिल्ली से कवरेज पर आए बीबीसी के पत्रकार दिलनवाज़ पाशा को सात घंटे तक थाने में कैद रखा गया.

दिलनवाज का फोन छीन लिया गया. उन्हें गालियां दी गईं. उनका बेल्ट उतरवाकर हवालात में बंद कर दिया गया. सुबह दस से शाम पांच बजे तक उन्हें गालियों और धमकियों के बीच चोरों-उचक्कों के साथ हवालात में कैद कर मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया.

बताया जाता है कि बहजोई थाना इंचार्ज ने दिलनवाज पाशा द्वारा परिचय बताने पर मारपीट की और हवालात में बंद करने का आदेश दे दिया. दिलनवाज के दोनों फोन छीन लिए गए जिसके चलते वे किसी से भी संपर्क करने में नाकाम रहे. बीबीसी संवाददाता को हवालात में बंद कराने के बाद थानेदार चला गया. थाने के सिपाहियों ने गंदी गंदी गालियों और धमकियों के जरिए बीबीसी संवाददाता को टार्चर करते रहे.

पत्रकार दिलनवाज पाशा आज शाम पांच बजे तब छूटे जब उनके बारे में पुलिस को जानकारी मिल गई कि वो बीबीसी के ही संवाददाता हैं. दिलनवाज ने थाने से छूटने के बाद लखनऊ अपने कार्यलय में जानकारी दी. बीबीसी के पत्रकार को बंधक बनाने के मामले की जानकारी लखनऊ में शासन-सत्ता में बैठे लोगों में भी फैल गई.

सीएम योगी के खास अधिकारी और सूचना विभाग के सर्वेसर्वा अवनीश अवस्थी ने फोन कर दिलनवाज पाशा से कुशल क्षेम पूछा. उन्होंने दोषियों को दंडित करने का भरोसा दिया.

बताया जाता है कि दिलनवाज पाशा एक निर्दोष व्यक्ति को थाने में अवैध तरीके से रखे जाने की सूचना पर जानकारी लेने पहुंचे थे. उन्होंने खुद को दिल्ली से आए एक पत्रकार के रूप में परिचय दिया. इतना सुनते ही थानेदार आगबबूला हो गया और अभद्रता करते हुए फोन छीन कर हवालात में बंद करने का आदेश दे दिया. बताया जाता है कि जिस निर्दोष व्यक्ति को थाने में रखा गया था, उसे छोड़ने के एवज में पुलिस ने लाखों रुपए की डील की थी.

ये डील बिगड़ती देख पुलिस वालों का पारा चढ़ गया और बीबीसी संवाददाता को भी हवालात में डाल दिया. पता चला है कि पुलिस ने अंतत: लाखों रुपये लेने के बाद उस निर्दोष आदमी को छोड़ दिया जिसकी पैरवी के लिए बीबीसी संवाददाता दिलनवाज थाने गए थे. इस घटनाक्रम से पता चलता है कि पुलिस वाले पैसे कमाने के चक्कर में नियम-कानून, नैतिकता सबकुछ को ताक पर रख चुके हैं. योगीराज में पुलिस को एक्शन लेने की बेलगाम छूट मिलने के बाद पुलिसिया तानाशाही और अराजकता चरम पर है.

इस पूरे घटनाक्रम पर भड़ास के फाउंडर व एडिटर यशवंत सिंह फेसबुक पर लिखते हैं-
यूपी के जंगलराज में बेलगाम हुई पुलिस के निशाने पर आज बीबीसी के पत्रकार Dilnawaz Pasha भाई आ गए. उन्हें एक थाने में सात घंटे तक बंधक बनाकर हवालात में रखा गया. दिलनवाज जी थाने में एक निर्दोष व्यक्ति के अवैध हिरासत में रखे जाने की सूचना पर जानकारी करने गए थे. दिल्ली से आए व्यक्ति के रूप में खुद का परिचय देने मात्र से बौखलाई पुलिस ने उनसे मारपीट करते हुए फोन छीन लिया और हवालात में पटक दिया.

शर्मनाक और निंदनीय. लगता है जैसे यूपी में अब कोई लोकतांत्रिक शासन नहीं है बल्कि पुलिस राज चल रहा है. पुलिस वाले ही असली शासक हैं. इनका नारा है- जो भी सवाल करेगा, वो मरेगा.
आज दिलनवाज पाशा के साथ जो कुछ हुआ है, वह दहलाने वाला है. चुप रहे तो कल आपकी भी बारी है.

बेहद निंदनीय और घृणित.
पुलिस कप्तान, सीओ का फौरन तबादला कर डीजीपी आफिस से अटैच करते हुए दोषी थानेदार व पुलिसकर्मियों को जेल भेजा जाना चाहिए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here