16 अगस्त 2020 अयोध्या बाबा रामसेवक दास 14 वर्षीय किशोरी को बहला-फुसलाकर अपने आश्रम पर ले गया था. आश्रम में लड़की के साथ रेप करने का प्रयास किया लेकिन किशोरी ने इसका विरोध किया तो साधु ने किशोरी का प्राइवेट पार्ट काट दिया.
16 अगस्त, 2020: यूपी के लखीमपुर खीरी में 13 साल की एक दलित लड़की का गैंगरेप हुआ और उसकी लाश गन्ने के खेत में मिली है.
10 अगस्त, 2020: सुदीक्षा भाटी सुबह औरंगाबाद के पास अपने छोटे भाई के साथ मोटरसाइकिल पर जा रही थी जब उसकी मौत हो गई. लड़की अमेरिका स्थित बाबसन कॉलेज की छात्रा थी और 20 अगस्त को वापस जाने वाली थी. परिवार का आरोप है कि मोटरसाइकिल सवार दो व्यक्ति भाटी का पीछा कर उसे परेशान कर रहे थे जिसके कारण दुर्घटना हुई.
6 अगस्त, 2020: यूपी के हापुड़ में 6 साल की एक बच्ची को उसके घर के सामने से अगवा कर उसका रेप किया गया. खून से लथपथ वो झाड़ियों में फ़ेंक दी गई. इस वक़्त उसकी हालत गंभीर है. बच्ची के प्राइवेट पार्ट पर गंभीर चोटें आई हैं. उसका इलाज मेरठ के अस्पताल में चल रहा है.
31 जुलाई, 2020 को यूपी के मुजफ़्फ़रनगर में आठ साल की एक बच्ची का रेप किया गया और गला घोंटकर हत्या कर दी गई. इस बच्ची का शव भी गन्ने के खेत में फ़ेका हुआ मिला.

यह सिर्फ 15 – 16 दिन के अंदर तक की घटनाएं है जो कि थोड़ी बहुत हाईलाइट हुई है वरना कितनी खबरें ऐसे ही दब जाती है किसी की तो FIR भी नहीं होती. यूपी में बीजेपी की सरकार है इसलिए मुख्यधारा की मीडिया ऐसी खबरें को तवज्जो नहीं देते. सीएम योगी का दावाः ”यूपी में न्यूनतम अपराध हैं, सामान्यतः उत्तर प्रदेश में अपराध तीन वर्षों में न्यूनतम हैं. लॉ एंड ऑर्डर बेहतर स्थिति में है और आगे भी बेहतर स्थिति में रहेगी.”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ये दावा पाँच अगस्त 2020 यानी उसी दिन किया जब प्रदेश के पश्चिमी इलाक़े में आठ साल की बच्ची की रेप की कोशिश की गई और जब बच्ची शोर मचाने लगी तो उसकी हत्या कर दी गई.
जब देश भर का मीडिया अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन समारोह की कवरेज में व्यस्त था तो इससे लगभग 650 किलोमीटर की दूरी पर एक माता-पिता अपनी आठ साल की लापता बच्ची को खोज रहे थे लेकिन उन्हें अपनी बच्ची की लाश एक खेत में मिली.
इससे चार दिन पहले यानी 31 जुलाई, 2020 को यूपी के मुजफ़्फ़रनगर में आठ साल की एक बच्ची का रेप किया गया और गला घोंटकर हत्या कर दी गई. इस बच्ची का शव भी गन्ने के खेत में फ़ेका हुआ मिला.
ये बीते 17-18 दिनों के भीतर हुई ये घटनाएं ‘यूपी में न्यूनतम अपराध’ है के दावे की स्याह तस्वीर पेश करती हैं. ये वो घटनाएं हैं जो ख़बरों में आ आईं, संभव है कि कई ऐसे भी मामले हों जो मीडिया रिपोर्ट्स तक नहीं पहुंच सके हों.

सीएम योगी के दावे को झूठलाते आँकड़े
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की इस साल जनवरी में आई सालाना रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है.
देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए. यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8%.


इसके अलावा प्रदेश में कुल रेप के 43,22 केस हुए. यानी हर दिन 11 से 12 रेप केस दर्ज हुए. खास बात ये है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज होते हैं. इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने में कभी शिकायत ही दर्ज नहीं हो सकी. एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है.


महिलाओं की सुरक्षा को अपनी वरीयता बताने वाले सीएम योगी न्यूज़ चैनलों के इंटरव्यू देते समय सूबे में ‘न्यूनतम अपराध’ की बातें करते हैं और दूसरी ओर उन्हीं की सरकार विधानसभा में अलग आँकड़े पेश करती है.
योगी सरकार ने समाजवादी पार्टी के एक विधायक नहीद हसन के सवाल के जवाब में बताया था कि 2016 के मुकाबले 2017 में हर एक सेगमेंट में महिलाओं के खिलाफ़ अपराध में बढ़त हुई है.

एंटी रोमियो दस्ता, वीमेन हेल्प लाइन नंबर का क्या हुआ?
मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सबसे पहले योगी आदित्यनाथ ने एंटी रोमियो दस्ता के गठन का ऐलान किया.
इस दल का काम था कि यह स्कूल- कॉलेज जाने वाली लड़कियों को छेड़खानी से बचाएगा. लेकिन इसके लॉन्च होने के बाद ही इसके कामकाज पर विवाद पैदा हो गया. कई ऐसे मामले सामने आने लगे जहां सहमति से साथ में बैठे या साथ चल रहे लड़के-लड़कियों को भी एंटी रोमियो दस्ता परेशान करने लगे.


30 मार्च 2017 को ख़बर सामने आई जहां एंटी रोमियो गस्त पर निकली पुलिस ने रामपुर में एक भाई-बहन को परेशान किया और पुलिस थान ले आए. ये भाई-बहन गाँव से रामपुर शहर दवा लेने आए थे. जब दोनों ने ये साबित कर दिया की वह भाई-बहन हैं तो भी पुलिस पर छोड़ने के एवज में 5 हज़ार रुपए मांगने का आरोप है.
एंटी रोमियो को लेकर ऐसी कई ख़बरें सामने आईं जहां उन्होंने सुरक्षा तो नहीं दी बल्कि मुश्किलें बढ़ाईं.

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