आपको गुजरात चुनाव याद है । 2017 के दो चरणों वाले गुजरात चुनाव के लिए मतदान शुरू ही हुआ था जमीनी रिपोर्ट संकेत दे रहे थे कि दो दशक से अधिक समय तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा अब गुजराती जनता के बड़े हिस्से का समर्थन खो रही है। और यह स्थिति विपक्षी पार्टी कांग्रेस को लाभ पहुंचा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने गृह राज्य में व्यापक चुनावी अभियान का नेतृत्व संभाले हुए एक बड़ी भीड़ को संबोधित करने के लिए पालनपुर पहुंचे वहां अपने भाषण के दौरान उन्होंने एक ऐसी बात कही जो मीडिया में जमकर प्रसारित किया गया.
मणिशंकर अय्यर के घर में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर, पाकिस्तान के भूतपूर्व विदेश मंत्री, भारत के भूतपूर्व उपराष्ट्रपति, भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एक मीटिंग हुई। उसके अगले ही दिन जिस दिन मणिशंकर अय्यर ने मोदी को “नीच” कहा भाइयों और बहनों यह एक गंभीर बात है कि पाकिस्तान एक संवेदनशील मामला है। उस पाकिस्तान के हाई कमिश्नर के साथ इस तरह की गुप्त मीटिंग करने का कारण क्या है ? और जब गुजरात में चुनाव चल रहा है तो इस तरह की गुप्त मीटिंग का कारण बताएं । दूसरी बात पाकिस्तान के पूर्व आर्मी डायरेक्टर जनरल अरशद रफी किया बात बोले कि गुजरात में अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाने में साथ देना चाहिए……
9 दिसंबर 2017 को गुजरात के पालनपुर की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिया यह बयान फेक न्यूज़ का भी एक क्लासिक उदाहरण है। इसे मीडिया के क्लास रूम में पढ़ाया जाना चाहिए इसमें सिर्फ एक तथ्य पूरी तरह ठीक है वह यह कि मणिशंकर अय्यर के घर पर लोग मिले थे। बाकी सारे तथ्य तो अधूरे हैं या गलत है मणिशंकर अय्यर के घर मीटिंग नहीं हुई थी रात्रि भोज का आयोजन आयोजन हुआ था। कुछ लोग ई-मेल से आमंत्रित किए गए थे जिनमें कई पत्रकार भी थे। प्रधानमंत्री ने रात्रिभोज में शामिल कुछ लोगों के नाम सही बताएं मगर सभी के नाम नहीं बताए । इस बयान के अगले दिन मीडिया रिपोर्टिंग से पता चला कि उस रात्रि भोज में भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष दीपक कुमार एक पूर्व विदेश सचिव और कई अन्य वरिष्ठ राजनयिक भी शामिल थे। सब ने कहा कि गुजरात पर कोई चर्चा नहीं हुई लेकिन प्रधानमंत्री के उस बयान के बाद अखबारों और समाचार वेबसाइटों ने क्या हैडलाइन लगाया वह सब आपको पता होगा।
अब बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की. एक बार को मान लेते हैं कि उनकी बात 100 फीसदी सच है. ठीक है, पूरी सहमति है. लेकिन फिर एक सवाल भी है. सवाल ये कि पाकिस्तान जिसे भाषणों में दुश्मन मुल्क बताया जाता है, (सिर्फ भाषणों में, क्योंकि केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दे रखा है), उसका साथ देने वाला एक शख्स खुलेआम कैसे घूम रहा है. जब प्रधानमंत्री को इस बात का पता है कि दिल्ली में एक घर में पाकिस्तान के लोग बैठकर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं, तो उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया जाता. बेहतर तो ये था कि जब पता चला कि दिल्ली में पाकिस्तान के लोगों के साथ गुप्त बैठक हो रही है, उस बैठक में मौजूद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व मंत्री मणिशंकर अय्यर, पत्रकार प्रेम शंकर झा और पूर्व सेनाध्यक्ष दीपक कपूर के साथ ही पाकिस्तानी डेलिगेट पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए पहले कानूनी कार्रवाई की जाती और फिर उसका जिक्र भाषणों में किया जाता.त
रात्रि भोज में आए लोगों की सूचना आपको पहले प्रधानमंत्री ने संदिग्ध बना दिया मीडिया के लिए यह काफी था। उसने हेड लाइन में और खुलकर लिख दिया कि गुजरात चुनावों में पाकिस्तान हस्तक्षेप कर रहा है। बात चर्चा की हुई थी मीडिया ने उसे हस्तक्षेप की तरह पेश कर दिया जाहिर है राजनीति गरमा गई लोग चर्चा करने लगे प्रधानमंत्री आरोप मढ़ने और कटाक्ष करने के खेल में माहिर हैं वह हमेशा निर्दोष होते हैं। क्योंकि खुलकर नरेंद्र मोदी कभी सामने नहीं आते। इस मामले में भी उन्होंने बस संकेत दिए आपने दिमाग की बात पूरे जनसमूह के दिमाग में डाल दें और मीडिया ने उनके मन के अनुकूल नैरेटिव भी गढ़ दिया। उन्होंने जो कुछ भी पालनपुर में कहा उसका मकसद लोगों को एक गुप्त बैठक के बारे में बताने और उस बैठक की टाइमिंग की तरफ सब का ध्यान खींचने के लिए था। फिर उन्होंने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान सेना का एक सेना निर्मित अधिकारी कांग्रेस के एक मुस्लिम नेता को गुजरात का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा इसकी उन्हें जरूरत नहीं थी गोदी मीडिया ने लोगों को जो सुर्खियां पड़ोसी उनमें देश के प्रधानमंत्री के हवाले से कहा गया कि पाकिस्तान गुजरात में हो रहे चुनाव में हस्तक्षेप कर रहा है और कांग्रेस पाकिस्तान से सांठगांठ कर रही है। हस्तक्षेप का विचार एक बार स्थापित हो जाने के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर हमला करते हुए बार-बार दोहराया और सच बना दिया हर बार जब कांग्रेस गुजरात में विकास के भाजपा के दावे पर सवाल उठाती भाजपा उस पर यह आरोप लगाती जो रोज खबरें देखते पढ़ते उनको लगा कि प्रधानमंत्री ने जो कहा था उसमें जरूर कुछ बात रही होगी नहीं तो उनकी पार्टी तनी मुखर नहीं होती।
जब कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री से माफी की मांग की तोता तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस माफी क्यों मांग रही है वह उस सीक्रेट मीटिंग के डिटेल जनता को क्यों नहीं बता रही है साफ है अरुण जेटली भी प्रधानमंत्री के फेंक बयान को आगे बढ़ा रहे थे उसे मान्यता दे रहे थे .
चुनाव खत्म हुए मगर इस बयान को लेकर हुआ विवाद राजसभा पहुंच गया कांग्रेस के हंगामे के बाद जब सदन की कार्यवाही प्रभावित हुई तब सरकार और विपक्ष के बीच समझौता हुआ उसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जो टिप्पणी की उसके एक-एक शब्द को पढ़िए जिस तरह आपने प्रधानमंत्री के बयान का एक-एक शब्द पड़ा है चुनाव के दौरान कांग्रेस से मीटिंग की डिटेल मांगने वाले मामले पर अरुण जेटली का बयान इस तरह है।
अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने ऐसा कोई सवाल नहीं किया और ना ही उसकी ऐसी कोई मंशा थी कि वह देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी कि राष्ट्र के प्रति निष्ठा पर सवाल उठाए ऐसी कोई भी धारणा गलत है हम इन नेताओं का बहुत सम्मान करते हैं साथ ही भारत के प्रति उनकी निष्ठा का भी सम्मान करते हैं।
इसमें गुप्त मीटिंग का कोई जिक्र नहीं था या ऐसा ही था कि प्रधानमंत्री ने तूफान रोकने का काम नहीं किया और जनता झूठी बात पर मूर्ख बनती रही जबकि इस प्रक्रिया में उन्होंने यह जरूर किया कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व सेनाध्यक्ष की निष्ठा को संदेहास्पद बना दिया।
आप प्रधानमंत्री के बयान और अरुण जेटली की सफाई के एक-एक शब्द को ध्यान से पढ़िए बहुत दक्षता से दोनों को तैयार किया गया है प्रधानमंत्री का गुजरात के चुनावी भाषण में दिया गया बयान झटके में तैयार नहीं हुआ होगा इसका हर एक शब्द झूठ के निर्माण का क्लासिक उदाहरण है उसी तरह इसकी सफाई का हर शब्द भी पहले बयान में सवाल ही सवाल है दूसरे बयान में आराम से कहा जा रहा है कि हम तो सवाल ही नहीं कर रहे थे यह एक महीन रणनीति के तहत तैयार किए गए बयान है जो ऊपरी तौर पर चलता और लग सकते हैं लेकिन इनमें आम जनता के मनोविज्ञान का भरपूर ध्यान रखा जाता है.
मणिशंकर अय्यर के घर पर कोई गुप्त बैठक इस मामले में झूठ करने में प्रधानमंत्री और भाजपा को कामयाब इसलिए मिली क्योंकि उसमें पाकिस्तान का नाम शामिल था मणि शंकर अय्यर से जुड़ी घटनाओं में एक निरंतरता भी थी उन्होंने उस रात्रि भोज से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के बारे में ठीक है और विवादास्पद बयान दिए थे वह पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता के लिए लगातार पैरवी कर रहे थे उन्हें और उनकी पार्टी को अस्थाई शत्रु के तौर पर पेश करने के लिए यह सब मामले पर्याप्त थे।
हम इस लेख से आपको यह दिखाना चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी साफ-सुथरी राजनीति नहीं करते जब उन्हें लगा कि गुजरात में उनका सूपड़ा साफ होने वाला है तब उन्होंने पाकिस्तान को बीच में लाया पाकिस्तान के नाम पर चुनाव लड़ा और गोदी मीडिया ने बीजेपी का हर कदम पर साथ दिया। मोदी चुनाव में रैलियों करते समय भूल जाते हैं कि वह देश के प्रधानमंत्री हैं कोई सरपंच या गली का नेता नहीं।