मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बग़ावत करने वाले पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि आज सदन में कांग्रेस सरकार ने विश्वास मत जीता है. जो भी अटकलें लगाई जा रही थीं, उन पर विराम लग गया. कांग्रेस के विधायकों ने एकजुटता का संदेश दिया. आने वाले समय में हम पूरी ताक़त के साथ काम करेंगे.
राजस्थान में करीब एक महीने चली सियासी खींचतान के बाद अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया. सदन ने सरकार द्वारा लाए गए विश्वास मत प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया.
प्रस्ताव पर अपना जवाब देते हुए गहलोत ने विपक्ष द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘तमाम आरोपों को मैं अस्वीकार करता हूं… कोरोना वायरस महामारी की स्थिति से निपटने में राजस्थान की सराहना देश-दुनिया ने की है.’
गहलोत ने आरोप लगाया, ‘भाजपा व केंद्र की सरकार ने उनकी सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचा, लेकिन कांग्रेस के कुनबे में फूट डालने के उनके सपने कभी पूरे नहीं होंगे.’
विपक्षी भाजपा की ओर इशारा करते हुए गहलोत ने कहा, ‘आपके आलाकमान ने तय कर रखा है कि राजस्थान सरकार को गिरा के रहेंगे और मैंने तय कर रखा है किसी भी कीमत पर गिरने नहीं दूंगा.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में दो लोग ही राज कर रहे हैं. गहलोत ने कहा, ‘देश में लोकतंत्र खतरे में है जिसकी चिंता हम सभी को होनी चाहिए.’
प्रस्ताव पर बहस के दौरान विपक्षी नेताओं द्वारा कई बार मुख्यमंत्री और सचिन पायलट के बीच चली खींचतान पर कटाक्ष किए जाने का जिक्र करते हुए गहलोत ने इसे पार्टी का अंदरूनी मामला बताया.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा वाले कौन होते हैं हमारी पार्टी के बारे में बोलने वाले. ये हमारी पार्टी का अंदरूनी मामला है.’
विधायकों के फोन टैप के आरोपों को खारिज करते हुए गहलोत ने कहा, ‘हमारे यहां कोई फोन टैप नहीं होता. मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं.’
मुख्यमंत्री के जवाब के बाद सदन ने सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव को ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया.
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सदन द्वारा मंत्रिपरिषद में विश्वास व्यक्त करने का प्रस्ताव स्वीकार किए जाने की घोषणा की. इसके बाद सदन की कार्रवाई 21 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई.
इससे पहले संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने सरकार की ओर से विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया और कहा कि राजस्थान में ‘न किसी शाह की चलती है न तानाशाह की.’
बता दें कि कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने 18 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करते हुए बीते 12 जुलाई को दावा किया था कि उनके साथ 30 से अधिक विधायक हैं और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है.
इसके बाद अशोक गहलोत ने दो बार विधायक दल की बैठक बुलाई, जिसमें पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं आए. इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री पद के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था.
पायलट के दो सहयोगी विश्वेंदर सिंह और रमेश मीणा को भी कैबिनेट के साथ ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया गया था.
इस बीच कांग्रेस ने एक ऑडियो टेप का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को गिरफ्तार करने की मांग की है और आरोप लगाया है कि वह पार्टी के एक बागी विधायक भंवरलाल शर्मा के साथ मिलकर अशोक गहलोत सरकार को गिराने की साजिश में शामिल हैं.
इन दोनों टेप में कथित रूप से गहलोत सरकार को गिराने के लिए किए गए षड्यंत्र से जुड़ी बातचीत रिकॉर्ड है. राजस्थान पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो (एसीबी) ने दोनो ऑडियो क्लिप के मामले में भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया है.
हालांकि शेखावत ने कहा है कि ऑडियो में उनकी आवाज नहीं है और वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं. शर्मा एवं भाजपा ने इस ऑडियो को फर्जी बताया है. भाजपा ने इन टेपों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है.
राजस्थान विधानसभा में वोटिंग से पहले बीजेपी के चार विधायक सदन से गायब थे. उनका मोबाइल भी बंद था. इन विधायकों में आदिवासी क्षेत्र से आने वाले विधायक गिर्डी से कैलाश मीणा, दरियाबाद से गौतम मीणा, आसपुर से गोपीचंद मीणा और घाटोल से हरेंद्र निनामा शामिल थे. बीजेपी नेता इन विधायकों को वोटिंग कराने के लिए खोजते रहे. अंत में मजबूर होकर बीजेपी ने न तो वोट पर डिवीजन मांगा और न ही वोटिंग कराई.