जिन लोगों ने अब तक कोरोना वायरस महामारी को मात दे दिया है, वे ये सोच रहे होंगे कि अब वे आसानी से अपना जीवन बिता पाएंगे, उन्हें अब इस कोरोनावायरस महामारी से कोई लेना देना नहीं है। कृपया आपको बता दे कि आप गलत हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के हालिया शोध से ये पता चलता है कि कोरोनावायरस महामारी से उबरने वाले लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा है। ज्ञात हो कि भारत और साथ ही पूरे दुनिया भर में कोरोनावायरस के लाखों मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं। उनमें से केवल कुछ लोगों को ही इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ता है।
ऐसे मामलों में, अस्पताल में भर्ती मरीजों पर covid-19 से उबरने वाले रोगियों में रक्त के थक्के और साथ ही दिल से संबंधित कई समस्याएं देखी गई हैं। ऐसे में जो लोग कोरोनावायरस संक्रमण से पूरी तरह से ठीक हो गए हैं, उन्हें विशेषज्ञ डॉक्टर से दिल की जांच कराने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो आपकी स्थिति गंभीर भी हो सकती है।
जानिए कब फेल होता है दिल
दिल की विफलता तब होती है जब किसी व्यक्ति की हृदय की मांसपेशी रक्त पंप करने की क्षमता खो देती है या फिर हृदय को पंप करना पूरी तरह बंद कर देती है। इससे रक्त धमनियां पतली हो जाती हैं और साथ ही रक्त ठीक से प्रवाहित नहीं हो पाता।
इस समस्या का समय पर पता चलने के कारण मरीज को आसानी से इलाज मिल जाता है। लेकिन अगर आपको इस स्थिति में यह समस्या है और साथ ही आपने जांच नहीं करवाई, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
कोरोनावायरस के दौरान सीने में पेन होने पर हार्ट चेकअप करवाएं
यदि आप Covid-19 से पूरी तरह से ठीक हो गए हैं और आपको पहले से ही किसी भी प्रकार की हृदय की समस्या है, तो फिर सबसे पहले आपको डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। इसके अलावा, जिन लोगों को Covid-19 के दौरान सीने में दर्द की समस्या थी, उन्हें भी बिना समय गंवाए दिल की परीक्षा से गुजरना चाहिए।
साथ ही, वे लोग जिनकी हृदय की मांसपेशियाँ कमजोर हैं और साथ ही वे दवाएँ ले रहे हैं उन्हें भी जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाना चाहिए और जांच करानी चाहिए । विशेषज्ञों का मन्ना है कि जाँच के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि Covid-19 का आपके हृदय की मांसपेशी पर क्या प्रभाव पड़ता है। समय पर जांच-पड़ताल आपको दिल की विफलता जैसी गंभीर समस्याओं से बचने में बेहद मदद कर सकती है।
रोगी का उपचार
रोगी को हृदय की समस्या होने के शुरुआती दिनों में, रोगी को दवाओं के साथ इलाज किया जाता है। जबकि दूसरी ओर, यदि दिल की विफलता की स्थिति होती है, तो LVED नामक उपकरण का भी उपयोग रोगी के दिल को ठीक से काम करने में सक्षम बनाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही हार्ट ट्रांसप्लांट भी किया जा सकता है। आपको बता दें कि LVED डिवाइस के माध्यम से हृदय रक्त को सही तरीके से पंप करता है। और आज, यह डिवाइस सबसे अच्छा और साथ ही सबसे सुरक्षित उपचार में से एक है।
क्या है दिल की विफलता के लक्षण
सांस लेने में कठिनाई, कमजोरी और थकान, टखनों और पैरों की सूजन, अनियमित और तेजी से दिल की धड़कन, व्यायाम करने में कठिनाई, लगातार खांसी, तेजी से वजन बढ़ना, भूख कम लगना, पेशाब का बढ़ना।