जहां एक ओर कोरोना महामारी से देश परेशान हैं और लॉकडाउन लागू है। ऐसे में केवडिया कॉलोनी में आदिवासियों पर पुलिस की बर्बरता कर जबरन ही उनकी जमीन और आवास खाली कराए जा रहे हैं। इसका विडियो भी वायरल हो रहा है। यह विडियो व्यथित करने वाला है। जिन पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने बर्बरता की है उनके खिलाफ राज्य सरकार कार्रवाई करे। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने यह आरोप लगाए। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान आदिवासियों से जमीन खाली कराने को लेकर सवाल उठाए।

 इसे लेकर विधायक जिग्नेश मेवानी ने ट्वीट कर गुजरात सरकार पर हमला बोला है उन्होंने लिखा “दुनिया का सबसे बड़ा स्टेच्यू मैने, जी हां, नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने बनाया – अपनी इस सनक के चलते 5000 करोड़ से सरदार साहब का स्टेच्यू बनाने के बाद अब उसके इर्द गिर्द की 72 गांवों की जमीनें छिनने के लिए कोरोना की महामारी के संकट को चूना है। रूपानी साहब ईतना निर्दयी मत बनिए”।

यहां के आदिवासियों का कहना है कि हमारी सरकार और उसके अफसर कोरोना वायरस से भी खतरनाक हैं। स्टेच्यु ऑफ यूनिटी के नाम पर आदिवासियों की पंचायत खत्म हो जाएगी। आदिवासी गांवों में शहरी विकास कानून लागू होने से आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार खत्म हो रहे हैं। आदिवासी स्टेच्यु ऑफ यूनिटी के खिलाफ नहीं लेकिन पर्यटन के नाम पर अवैध भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। स्टेच्यु ऑफ यूनिटी प्रोजेक्ट से प्रभावित हुए 72 गांवों में से 32 गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इनमें से 19 गांवों में तथाकथित पुनर्वास नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि आदिवासी परिवारों का वन सम्पदा पर अधिकार है। यदि सरकार को जमीन की आवश्यकता हो तो जमीन अधिग्रहण बल या अत्याचार नहीं कराया जा सकता। इसके लिए तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने जमीन हासिल करने के लिए जो प्रक्रिया और मुआवजा देकर और समझा-बूझाकर जमीन हासिल करनी चाहिए।

लॉकडाउन के समय आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार को रोकना चाहिए। उन्होंने मानवाधिकार और महिला आयोग से अनुरोध किया है कि विडियो में जिस तरीके से महिलाओं और आदिवासी समाज से अत्याचार हो रहा है उसे साक्ष्य मानकर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे।

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