नई दिल्ली: सरकार बीएसएनएल (BSNL) और एयर इंडिया (Air-India) सहित 26 कंपनियां बेचने जा रही है जल्दी ही इनकी नीलामी की जाएगी हाल ही में देश के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने 23 कंपनियों के निजीकरण की घोषणा की थी यह खबर नवभारत टाइम्स ने अपने समाचार पत्र में बताया था की सरकार ने आरटीआई के जवाब में 26 कंपनियों का नाम दिया है जिसमें एयर इंडिया और बीएसएनल भी शामिल है

आपको बता दूं कि मनमोहन सिंह के 10 साल के सरकार में एक भी कंपनियां नहीं बेची थी निजीकरण के तरफ वो बढ़े थे लेकिन उससे देश के उपर को फर्क नहीं पड़ा था मनमोहन सरकार को निजी करण से मिले उस पैसो को शिक्षा बेरोजगारी सरकारी स्कूलों के हालात सुधारने में निवेश किए थे.

आज भी जितने भी बड़े अर्थशास्त्र हैं वह कह रहे हैं मोदी सरकार से कि इस महामारी में आप जो छोटे व्यापारी हैं लेबर हैं उनको डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत पैसे उनके खाते में डालें इससे जीडीपी में एक बूस्ट आएगी और इस हालात से हम बाहर निकल पाएंगे.

आपको जानकारी होगी कि जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तब देश की जीडीपी की हालात इतनी बुरी नहीं थी लेकिन एनडीए की सरकार आते ही जीडीपी पूरी तरीके से लुढ़क गई है और बीते तिमाही में तो जीडीपी लगभग -23.9 फ़ीसदी की गिरावट देखने को मिली है.

जब मनमोहन की सरकार थी तो देश में बाहरी कंपनियों का निवेश बढ़ गया था. जिससे भारत में बेरोजगारी की समस्या लगभग खत्म हो चुकी थी. लेकिन मोदी सरकार के राज्य में अब 4 में से 1 व्यक्ति बेरोजगार है और वह मोदी सरकार से अपनी रोजगार का मांग कर रहे हैं सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि 17 सितंबर को नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर बेरोजगारी मोर्चा भी खोला जाएगा.

सरकार सभी सरकारी कंपनियों को निजी करण करने में इसलिए तो ली हुई है क्योंकि सरकार के अपने खजाना में कमी आ चुकी है भारत का राजकोषीय घाटा 6.45 लाख करोड़ रुपया का है इसका मतलब यह है कि खर्च ज्यादा और कमाई कम है खर्च और कमाई में 6.45 लाख करोड़ का अंतर है

1999 से 2004 के बीच जब एनडीए की सरकार थी तब भी एक निजी करण अ कदम उठाया गया था उस समय भी बताया जा रहा था कि भारत के राज्य को सीओ में अपने घाटे को पूरा करने के लिए निजीकरण किया जा रहा है।

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