कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी के निधन पर विदेशी मीडिया ने प्रतिक्रिया दी है। गल्फ न्यूज में छपे एक लेख में कहा गया कि भारतीय ‘न्यूज चैनलों’ को अब अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य से जुड़ी चेतावनी देनी चाहिए: ये सामग्री देखना आपके और आपके प्रतिभागियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। लेख में कहा गया कि भारतीय चैनलों के सामान्य कंटेंट में आमतौर पर कट्टरता, सनसनी (यहां सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का हवाला दिया गया) प्रमुखता से होती है।

इसमें कहा गया कि पिछले सप्ताह एक टीवी चैनल की डिबेट के दौरान भाजपा प्रवक्ता संबित ने कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी को ‘गद्दार’ कहा, जिसके चंद मिनट बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। कांग्रेस प्रवक्ता के अंतिम संस्कार के बाद उनकी पत्नी ने बताया कि पति के आखिरी शब्द थे ‘इन लोगों ने मुझे मार दिया।’ दुख की बात है कि राजीव त्यागी की अंतिम बहस एक ऐसे शो पर थी, जो खुद को ‘दंगल’ कहता है, जिसका शाब्दिक अर्थ निकालें तो कुश्ती का मैच होता है।

इस लेख की लेखिका बताती है कि प्रिंट और ब्रॉडकास्ट पत्रकारिता के दो दशक के अनुभव के बाद मैं कह सकती हूं कि कोई भी मीडिया संस्थान जो खुद को ‘कुश्ती का मैच’ बताता है वो पत्रकारिता के नाम पर दर्शकों को बेवकूफ बना रहा है। उन्होंने कहा कि इन कथित न्यूज चैनलों का टूटा हुआ बिजनेस मॉडल है, जहां वो चिल्लाते हुए और न्यूज सामग्री के रूप में कचरा परोसते हैं।

सवाल उठता है कि इन चैनलों के लिए समाचार क्या है? उदाहरण के लिए अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में मोदी की अनंत प्रशंसा करना। चैनलों ने बताया कि मोदी अब किसी भी गैर कांग्रेसी पीएम की तुलना में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले नेता बन गए हैं। हालांकि चैनल ये बताना भूल गए कि वो लंबे समय तक भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने अपने दोनों कार्यकालों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से इनकार कर दिया। मगर ये कोई न्यूज नहीं है।

लेखिका कहती है कि सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है मगर भारतीय न्यूज चैनल वास्तव में हत्यारे हैं और दिमाग को खंडित करते हैं।

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