केंद्र सरकार जब से कृषि कानून लेकर आई है। तभी से तीनों कानूनों के खिलाफ विपक्ष हो या अन्नदाता हो, दोनों का ही गुस्सा फूट रहा है। लेकिन भले ही विपक्ष शांत बैठ गया हो, मगर अन्नदाता शांत बैठने वाला नहीं है। अब केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ अन्नदाताओं का आंदोलन और तेज होने वाला है। जिसका किसान संगठनों ने ऐलान भी कर दिया है।

केंद्र सरकार संसद सत्र के दौरान कृषि बिल लेकर आई तो हंगामा शुरू हुआ। लेकिन सरकार ने मनमानी कर तीनों बिल पास करा लिए, इसके बाद मामला तूल पकड़ता गया और अन्नदाता के साथ विपक्ष भी इन कृषि कानूनों का का विरोध करने लगा। सरकार फिर भी अपने रुख पर कायम रही और तीनों कृषि कानूनों को अमलीजामा पहना दिया।

जिसके बाद से लगातार देशभर के किसानो का गुस्सा फूट रहा है। विजयदशमी पर किसानों का यह गुस्सा दिखाई भी दिया जहां रावण की जगह पीएम मोदी के पुतले बनाकर जलाए गए। तो वहीं अब ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक भी हुई। जिसमें यह फैसला लिया गया कि संसद द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ 5 नवंबर को देशभर के किसान संगठन चक्का जाम करेंगे।

तो वही 26 और 27 नवंबर को देशभर के किसान दिल्ली चलो अभियान के तहत इकट्ठा होंगे। केवल कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन नहीं होगा। बल्कि बिजली बिल और पंजाब में मालगाड़ी की आवाजाही को रोककर उसका ठीकरा किसानों पर फोड़ने के खिलाफ भी आंदोलन होगा। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह का सरकार पर आरोप है, कि सरकार बिजली कानूनों में बदलाव कर पांच सितारा होटलों में उठने वाले प्रति यूनिट बिजली बिल के समान किसानों से भी दिल वसूलना चाहती है।

बता दें कि जब पंजाब के किसानों ने कृषि कानून के विरोध में रेलवे ट्रैक जाम किया तो सरकार ने उसके बाद से राज्य में मालगाड़ी की आवाजाही पर रोक लगा रखी है। इसी को लेकर अब पंजाब के किसानों का गुस्सा और ज्यादा भड़क गया है। उनका कहना है कि पंजाब में मालगाड़ी के आने-जाने पर रोक लगाकर केंद्र सरकार ने पंजाब की जनता को सजा देने का काम किया है।

उनका कहना है कि इससे पंजाब की जनता को यूरिया और डीजल नहीं मिलेगा पंजाब के किसानों ने ट्रक खाली कर दिया 180 गाड़ियां गुजर गई लेकिन सरकार ने मालगाड़ी के चलने पर रोक लगाई है। किसानों ने कहा कि जो सरकार अपनी जनता को सजा देती है। उस सरकार के अंतिम दिन करीब आ गए हैं।

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