कल तक एक टीवी सीरियल में गर्भवती माता सीता के प्रसंग पर आंसू बहाने वाली बहुसंख्यक कौम, सफूरा के मसले पर चुप हैं। शायद स्त्री-स्त्री का अंतर ही होगा।
नाम – सफूरा ज़रगर
जामिया विश्वविद्यालय में रिसर्चर छात्रा, जिसके गर्भ में एक बच्चा है, सरकार ने UAPA terror कानून के बहाने गिरफ्तार कर रक्खा है सफूरा को कोई जमानत नहीं मिली है। स्टेटस ये है कि एक गर्भवती महिला तिहाड़ जेल के अंदर है।
कारण – संसदीय कानून CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
मुझे इस बात का पूरा एहतराम है, और लिखने में कोई झिझक नहीं है कि सफूरा के तिहाड़ जेल में होने के पीछे एकमात्र कारण सफूरा का मुसलमान होना है, इसके अलावा कुछ भी नहीं। ये लिखते वक्त मेरी निष्पक्षता पल भर भी नहीं लजाती। बाकी पत्रकारों की कलम शायद लजा भी जाए या टूट ही जाए। जामिया पर हुए निर्लज्ज सरकारी हमले के साक्ष्य सबके सामने हैं बावजूद इसके वहीं के छात्रों पर आतंकवादियों के चार्जेस लगाए जा रहे हैं। पीड़ितों पर ही FIR करने का, इस निर्लज्ज सरकार का लंबा इतिहास रहा है। अखलाक, जेएनयू प्रेसिडेंट और उन्नाव रेप पीड़िता के उदाहरण पहले से ही सामने हैं। इसलिए इस सरकार की बेहयाई पर मुझे अब अधिक अचरज नहीं होता।
नाम – कपिल गुर्जर
शाहीनबाग़ क्षेत्र में बंदूक लहलहाकर हवा में फायरिंग करने वाला।
*स्टेटस- अभी जेल के बाहर है, 25 हजार रुपए में जमानत मिल चुकी है।
नाम – कोमल शर्मा
ABVP की कार्यकर्ता, वही कोमल शर्मा जो जेएनयू विश्वविद्यालय पर अटैक में शामिल थी। जिसकी वीडियो, फ़ोटो सबके सामने हैं।
*स्टेटस- कोई गिरफ्तारी नहीं
नाम – कपिल मिश्रा
भाजपा दिल्ली प्रदेश का नेता, इनकी दंगे भड़काने की वीडियो, फ़ोटो सबके सामने हैं
*स्टेटस- कोई गिरफ्तारी नहीं
प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर से लेकर ऐसे अनगिनत भाजपा-आरएसएस कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने दिल्ली की सड़कों पर खड़े होकर दंगों में झोंखने के लिए लगातार भड़काऊ भाषण दिए। लेकिन इनमें से किसी एक कार्यकर्ता की भी गिरफ़्तारी नहीं हुई।
प्रधानमंत्री ट्विटर पर लिखते हैं इस सरकार की आलोचना कीजिए, सरकार स्वागत करेगी और जो लोग असल में आलोचना कर भी देते हैं उनकी आलोचना को UAPA जैसे काले कानूनों से कुचलने का काम भी करते हैं। प्रधानमंत्री को लगता है कि वह नागरिकों की आलोचनाओं को कुचल देंगे, तो वे बहुत बड़े भ्रम में हैं। आज एक सफूरा है, कल हजारों नागरिक सफूरा बन जाएंगे…
Input: Boltahindustan