दिल्ली की एक अदालत ने पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों में कथित सहभागिता के लिए भाजपा नेता कपिल मिश्रा और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए दो अपीलों पर दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। आवेदकों के वकील महमूद प्राचा ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत दो आवेदन कड़कड़डूमा कोर्ट में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर किए गए थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा जघन्य अपराध की शिकायतों में नामजद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से इनकार करने के बाद ही शिकायतकर्ताओं ने अदालत का दरवाजा खटखटाया.

कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर के लिए दो आवेदन जाकिर मलिक और मोहम्मद जमी रिजवी ने दायर किए हैं। मामले में जब भाजपा नेता संपर्क किया गया थो उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें जो सच्चाई से ध्यान हटाना चाहती हैं, वो दिल्ली पुलिस और मेरे खिलाफ झूठी शिकायतें गढ़ने की कोशिश कर रही हैं।

जमी रिवजी पूर्वोत्तर दिल्ली के यमुना विहार निवासी हैं और उनका दावा है कि वो एक एक्टिविस्ट हैं। रिजवी ने पुष्टि की कि उन्होंने दिल्ली की कोर्ट के समक्ष आवेदन दायर किया था। उन्होंने कहा कि यह मामला 13 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। नेहरू विहार निवासी मलिक ने भी पुष्टि की कि उन्होंने 12 मार्च को दिल्ली की अदालत का दरवाजा खटखटाया था। मामले में सुनवाई की अगली तारीख 20 जुलाई है।

रिजवी अदालत ने समक्ष अपने आवेदन में कहा कि 23 फरवरी को दोपहर दो बजे के करीब क्षेत्र की शांति और सद्भाव में खलल डालने की कोशिश की गई। इसे बिगाड़ने के लिए, 20-25 लोगों की भीड़ उत्तेजक नारे लगा रही थी और ‘कपिल मिश्रा तुम लठ बजाओ, हम तुम्हारे साथ हैं’ जैसे नारे लगा रही थी। भीड़ कह रही थी कि ‘लंबे-लंबे लठ बजाओ हम तुम्हारे साथ हैं। मुल्लों पर लठ बजाओ हम तुम्हारे साथ हैं।’

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कपिल मिश्रा और ‘उनके कुछ गुर्गे बंदूक से लैस…’ इकट्ठा गहुए और सांप्रदायिक, जातिवादी नारे लगाने शुरूर कर दिए। मिश्रा के गुर्गों ने कर्दमपुरी में एकट्ठा हुए प्रदर्शनकारियों पर पत्थरों से हमला किया। ऐसा वहां मौजूद पुलिसकर्मियों के सामने किया जा रहा था। उन्हें रोकने के बजाय पुलिसकर्मी अपनी हरकतों से उनकी मदद कर रहे थे।

इन आरोपों का जवाब देते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि जब पुलिस बयान दर्ज करने गई तो पता चला कि शिकायतकर्ता ने गलत पता दिया था। बाद में पूछताछ के दौरान उनकी शिकायत में एक भी सच्चाई नजर नहीं आई। लगाए गए आरोप स्पष्ट रूप से नकार दिए गए थे। बयान में आगे कहा गया कि 23 फरवरी को राजनीतिक नेताओं ने मौजपुर चौक पर भाषण दिया और चले गए। आगे भी कर्दमपुरी पुलिया में रिजवी द्वारा वर्णित घटनाएं नहीं हुईं।

इधर मलिक ने अपने आवेदन में अदालत को बताया कि कपिल मिश्रा ने मेरे वितरण प्रतिष्ठान में बर्बरता की और साथ ही इन्वेंट्री की लूटपाट को भी अंजाम दिया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि मलिक की शिकायत खजूरी खास पुलिस स्टेशन में 18 मार्च को माननीय न्यायालय से प्राप्त की गई थी, जिस पर कार्रवाई की गई थी। शिकायत की जांच के दौरान पाया गया कि घटना उसी जगह हुईं जहां उनके भाई अकिल की दुकान भी थी और एफआईआर नं. 178/20 पहले ही रजिस्टर्ड थी। बीट कांस्टेबल ने भी 29 फरवरी के वहां का दौरा किया मगर वो वहां मौजूद नहीं थे।

वहीं कपिल मिश्रा का पक्ष है कि मैंने जो कहा वो वीडियो में है और सभी ने ये वीडियो देखा है। सभी कानूनी विशेषज्ञों ने एक स्वर में कहा है कि उस दिन मैंने जो कहा उसमें कुछ भी गलत नहीं है।

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