सोशल मीडिया पर एक मामूली से पोस्ट के लिए योगी और अमित शाह की पुलिस देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर देती है, लेकिन क्या देश में सबके लिए एक कानून नहीं है. क्या खुद को पत्रकार बताने वाला समाज में किसी भी तरह का जहर फैलाने के लिए पूरी तरह आजाद है. क्या दीपक चौरसिया के लिए देश में कोई कानून नहीं है. जो हर घटना को हिंदू-मुस्लिम का रंग देकर समाज में नफरत का जहर फैला रहा है. अब तो उसने विकास दुबे एनकाउंटर को भी हिंदू-मुसलमान का रंग देकर लोगों को भड़काना शुरू कर दिया है.

विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद जहां ज्यादातर लोग एनकाउंटर के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं. यूपी पुलिस सवालों के घेरे में है. वहीं खुद को पत्रकार कहने वाला दीपक चौरसिया ट्वीट कर कहता है, मजहब-धर्म में यही फर्क है! VikasDubey का घर ढहाया जा रहा था, कोई हिन्दू उसके साथ नहीं खड़ा है. फिर दंगाई ताहिर हुसैन का घर क्यों नही ढहाया गया? शायद इसको ही सेकुलरिज्म कहते हैं. विकास दूबे की मां भी उसके विरोध में है. जबकी मजहबी लोग कसाब, बुरहान के भी समर्थन में खड़े हो जाते हैं.

ट्वीटर पर लोग दीपक चौरसिया की इस मानसिकता पर उसे बुरा-भला भी कह रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, विकास दुबे ने जो किया वह भी गलत, जो ताहिर हुसैन ने किया वह भी गलत, इसमें धर्म और जाति की बात नहीं आनी चाहिए!

वहीं एक अन्य यूजर ने कहा, दिल्ली की पुलिस तेरे बाप के अंडर मे है. ये सवाल तेरे बाप से पूछ.

दीपक चौरसिया पर फेक न्यूज चला कर लोगों को भड़काने के कई मामले भी दर्ज हो चुके हैं. लेकिन न तो पुलिस कोई कार्रवाई कर रही है और न ही अदालत उसे कोई सजा सुना रही है. इसलिए दीपक चौरसिया और उस जैसे दूसरे कथित पत्रकार लगातर समाज में जहर फैला रहे हैं.

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