जहां एक तरफ देश कोरोना महामारी से उबर नहीं पाया वहीं अब दो और महामारी सामने आ गई है ब्लैक फंगस और व्हाट्स फंगस के तौर पर, हालांकि ये पहली बार नहीं आया है ब्लैक फंगस पिछले सौ साल से मौजूद बताया जा रहा है लेकिन कोरोना माहौल में इसका संक्रमण की मौजदूगी अधिक देखी जा रही हैं। कई राज्य सरकारों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। केंद्र और राज्य सरकार अलर्ट हैं। लोगों को इसके लिए जागरूक किया जा रहा है।



देश में इन महामारी के साथ साथ सरकार वैक्सीनेशन पर भी खास ध्यान दे रही है लोग बढ़ चढ़ कर वैक्सीन लगवा भी रहें हैं लेकिन यहां सवाल ये उठ रहा है की वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के बाद भी मौत हो रही है? आज इसी पर हम विस्तार से बात करेंगे क्योंकि कई ऐसे मामले सामने आए है जहां पर दोनों डोज लेने के बाद कोरोना संक्रमण हुआ है और उस व्यक्ति की मौत हुई है।



जाने माने डॉक्टर के के अग्रवाल की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है। अग्रवाल के मौत के बाद यह बहुत बड़ा सवाल बन गया है क्योंकि आज से करीब डेढ़ दो महीने पहले तक माना जा रहा था कि वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के बाद कम से कम वेंटिलेटर पर जाने की या जान जाने की नौबत नहीं आएगी।



लेकिन दोनों डोज लेने के बाद भी कोरोना संक्रमण से मौत होना बड़ी बात है और डॉक्टर अग्रवाल की मौत पहला केस नहीं है ऐसे कई मौत हमारे सामने है जिन्होंने दोनों डोज लिया और मौत हो गई। दिल्ली एनसीआर में ही चार डॉक्टर्स की कोरोना से मौत हो चुकी है और वे सभी वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके थे।


छत्तीसगढ़ कोविड-19 नियंत्रण अभियान के प्रदेश नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष पांडेय की कोरोना संक्रमण से मौत हो गया जबकि उन्होंने भी दोनो डोज ले लिए थे। कर्नाटक के मंगलुरू मे पुलिस कांस्टेबल और ग्वालियर के कम्पू थाने में तैनात कांस्टेबल की भी डेथ कोरोना से दोनों डोज के बाद हुई है। यहां तक की वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह की मौत भी कोरोना से हुई थी वे भी दोनों डोज ले चुके थे फिर तो बड़ा सवाल खड़ा होना लाजिमी है।



कोरोना की दूसरी लहर में अकेले यूपी में 48 पुलिस कर्मियों की जान भी जा चुकी है इसमें से ज्यादातर पुलिसकर्मी ऐसे हैं जो पंचायत चुनाव की ड्यूटी कर रहे थे सबसे अहम और हैरान करने वाली बात ये है कि जिन पुलिस कर्मियों की मौत हुई है, उसमें से अधिकतर ने वैक्सीन की पहली या दोनों डोज ले ली थी।
वही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा है कि दूसरी लहर में कोविड के कारण 270 डॉक्टरों की जान चली गई है अब यहां सवाल उठता है की 270 में से क्या एक भी डॉक्टर ने टिका नही लगवाया होगा अगर लगवाया होगा फिर उनकी मौत कैसे हुई?


यह वो घटनाए है जो पब्लिक डोमेन में है लेकिन कई ऐसे फ्रंट लाइन वर्कर है जिनकी मौत कोरोना के दोनों डोज लगने के बाद हो चुकी है। दोनों डोज के बड़ा कोरोना से मौत ये सोचने का विषय है। वही ब्लैक फंगस की बात भी यहां जरूरी है की आखिर इतना केस अचानक कैसे सामने आने लगे? क्या कोरोना का गलत इलाज, गलत इंजेक्शन की वजह से हुआ? जैसे वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार भी अपने कई लेख में लिखा है की भारतीय डॉक्टर किस तरह से कोरोना मरीजों को इलाज कर रहे है जिसके कारण हॉस्पिटल में भीड़ बढ़ रही है। केंद्र और राज्य सरकार को इन मुद्दों पर जल्द से जल्द विचार करने की जरूरत है वरना बहुत देर हो जायेगी।

( ये लेख दीपक राजसुमन के निजी विचार है, दीपक Indiantimetv.com और Nationpearl.com के संस्थापक है )

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