सीबीआई ने बैंक ऑफ इंडिया से लिए गए 67 करोड़ रुपये के ऋण से जुड़े कथित आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और जालसाजी के सिलसिले में भाजपा नेता मोहित कंबोज तथा चार अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में पूर्ववर्ती अव्यान ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड और केबीजे होटल्स गोवा प्राइवेट लिमिटेड का नाम भी प्राथमिकी में दर्ज किया है। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने कंबोज समेत आरोपियों के मुंबई स्थित पांच ठिकानों पर तलाशी ली जिनमें आवास और दफ्तर शामिल हैं।

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सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार कंबोज का नाम जितेंद्र गुलशन कपूर, नरेश मदनजी कपूर (अब दिवंगत), सिद्धांत बागला और इर्तेश मिश्रा के साथ संदिग्धों और आरोपियों में शामिल है। बैंक का आरोप है कि कंबोज हाथ से बने सोने के आभूषणों के निर्माण और इनके दुबई, सिंगापुर, हांगकांग तथा अन्य देशों में निर्यात में लगी अव्यान ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड में गारंटर और प्रबंध निदेशक थे।

भारतीय जनता युवा मोर्चा की मुंबई इकाई के अध्यक्ष कंबोज ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि कंपनी ने बैंक के साथ 2018 में एकमुश्त अदायगी के लिए करार किया था और उसके तहत बैंक को 30 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘कंपनी से भुगतान मिलने और हमें ‘अदेयता (नो ड्यूज) प्रमाणपत्र’ देने के ढाई साल बाद बैंक ने मामला दर्ज किया है। इसमें कोई एजेंडा है।

यह निजी दुश्मनी का मामला भी हो सकता है। मैं सीबीआई की जांच में सहयोग करुंगा।’’ अधिकारियों के अनुसार एजेंसी ने बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेजों को वास्तविक दर्शाना) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

सरकारी क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया ने आरोप लगाया है कि ऋण प्राप्तकर्ता और गारंटर ने कथित तौर पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया, उसके अधिकारियों के साथ मिलकर धोखाधड़ी और जालसाजी की। सीबीआई प्रवक्ता ने कहा, ‘‘साजिश के तहत कथित निजी कंपनी ने कथित तौर पर धनराशि मंजूर कराई और इसे जारी कराया।

आरोप है कि कथित सीमा का लाभ हासिल करने के बाद आरोपी कंपनी ने पैसे को दूसरी जगह लगा दिया और अपने दावे के समर्थन में फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। बैंक ऑफ इंडिया को कथित रूप से 57.26 (अनुमानित) करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया।’’

उन्होंने बताया कि मुंबई में तलाशी में अपराध की ओर इशारा करने वाले कुछ दस्तावेज मिले हैं जिनमें संपत्ति, ऋण, अनेक बैंक खातों और लॉकर चाबी से संबंधित कागजात भी हैं। सीबीआई से की गयी शिकायत में बैंक ने आरोप लगाया कि 2015 में कंपनी का निरीक्षण किया गया जिसमें कई अनियमितताएं मिलीं।

बैंक ने ब्याज अदा नहीं किये जाने और बिल बढ़ते जाने के बाद ऋण को 31 मार्च 2015 में गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित किया।

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