कोरोना वायरस का प्रकोप विश्व भर में अपने प्रसार के निरंतर रूप से जारी रहता है क्योंकि हर दिन संक्रमण और मृत्यु तेजी से बढ़ती जाती है। वही सकारात्मक मामलों की संख्या में वृद्धि से भी लोगों में भय और मिथक बढ़ जाते हैं।आधे सत्य और धारणा पर आधारित मिथक आपके लिए हानिकारक हो सकते हैं यदि सही समय पर इनका पर्दाफाश न किया गया हो।आम मिथक, जो आजकल सोशल मीडिया पर चल रहा है, यह है कि आप अपने Covid-19 के लक्षणों का स्वयं निदान कर सकते हैं।दावा है कि यदि आप खांस या किसी परेशानी के बिना 10 सेकंड तक सांस रोक सकते हैं तो आप वायरस से संक्रमित होने से बच जाते हैं क्योंकि फेफड़ों में COVID19 से संबंधित क्षति (फाइब्रोसिस) नहीं होती है।

दावे का आधार क्या है

दावा इस विश्वास पर आधारित है कि जब तक मरीज को बुखार या खांसी होती है तब तक उसके फेफड़े 50 प्रतिशत फाइब्रोसिस से भर जाते हैं जिससे उनके उपचार में कठिनाई होती है।

सांस को पकड़कर पता चलता है कि आपके फेफड़े क्षतिग्रस्त हैं या नहीं।

Cvid19 से संबंधित अन्य मिथकों के विपरीत सत्य इस दावे का कोई सत्य नहीं है।कोरोना वायरस के सबसे सामान्य लक्षण हैं सूखी खाँसी, थकान और बुखार।कई लोगों में निमोनिया जैसे गंभीर लक्षण पाए जाते हैं.अगर आपको खांसी है या नहीं, तो सांस रोकने से आपको केवल एक उपाय मिल सकता है।प्रयोगशाला में विशेषज्ञों द्वारा किये गये विशेष परीक्षण यह बता सकते हैं कि क्या आप संक्रमित हैं या नहीं।

अगर आपको लगता है कि हाल ही में आप वायरस से संक्रमित हैं या हाल ही में COVID19 के किसी भी लक्षण देख रहे हैं, तो सबसे अच्छा होगा कि आप अपने निकटतम अस्पताल में जाएँ।इलाज में देर होने से आपकी स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

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