बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार (30 जून) को अंग्रेजी समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ के विवादास्पद एंकर और संस्थापक अर्नब गोस्वामी को राहत देते हुए उनके खिलाफ पालघर लिंचिंग मुद्दे पर कथित साम्प्रदायिकता फैलाने के आरोप में और मुंबई के बांद्रा रेलवे में प्रवासी कामगारों के जमा होने को लेकर मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज सभी एफआईआर पर रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति उज्जल भुयान और न्यायमूर्ति रियाज चागला की खंडपीठ ने कहा कि “अर्नब गोस्वामी के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मुकदमा नहीं बनता।” पीठ ने आदेश दिया कि अर्नब के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। पीठ ने 12 जून को याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रखा था। यह मामला पिछले महीने बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए आया था। गोस्वामी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मिलिंद साठे ने प्रस्तुत किया था कि एफआईआर राजनीति से प्रेरित थी और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने के परिणाम स्वरूप दर्ज की गई थी।

गौरतलब है कि, मुंबई पुलिस द्वारा अपने खिलाफ दर्ज की गई नई एफआइआर को रद्द कराने के लिए रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। उन्होंने कोर्ट से अपने परिवार व चैनल के कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ पुलिस को कोई नई एफआइआर दर्ज न करने का निर्देश देने का आग्रह किया था।

अर्नब गोस्वामी पर आरोप है कि उन्होंने अपने समाचार चैनल पर दो टीवी कार्यक्रमों का प्रसारण कथित तौर पर मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए किया था। अर्नब गोस्वामी पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया था। बता दें कि, रिपब्लिक टीवी के संस्थापक अर्नब गोस्वामी अक्सर अपने कार्यक्रमों को लेकर विवादों में रहे हैं।

बता दें कि, पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की पीट-पीटकर हत्या के मामले पर एक समाचार शो में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कथित अपमानजनक बयान को लेकर अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कई जगहों पर प्राथमिकियाएं दर्ज कराई गई हैं। अप्रैल 2020 के आखिरी हफ्ते में मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी से 12 घंटे की पूछताछ भी कर चुकी है।

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