पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने प्रदेश इकाई में बड़ा फेरबदल करते हुए आधे दर्जन से अधिक नेताओं को पद से हटा दिया है। इसमें सबसे अहम नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस का है, जिन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष पद से हटाया गया है.

भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल प्रदेश इकाई में बड़ा फेरबदल करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस को प्रदेश उपाध्यक्ष पद से हटा दिया है। बड़े धूमधाम से पार्टी में लाए गए नेताजी के पोते को पद से हटाने का कोई कारण तो नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी विरोधी स्टैंड के कारण उनसे जिम्मेदारी छीनी गई है। दरअसल नेताजी के पोते चंद्र कुमार बोस ने पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले आज प्रदेश इकाई में बड़ा फेरबदल करते हुए आधे दर्जन से अधिक नेताओं को हटाते हुए नए नेताओं को प्रदेश उपाध्यक्ष, महामंत्री और सचिव बनाया गया है। इसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस को प्रदेश उपाध्यक्ष पद से हटा दिया है। बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, कुल 12 नेताओं को प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली है।

गौरतलब है कि बीते साल 24 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर कोलकाता में आयोजित बीजेपी की एक विशाल रैली के थोड़ी देर बाद ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पोते और राज्‍य बीजेपी के उपाध्‍यक्ष चंद्र कुमार बोस ने इस कानून को लेकर सवाल उठाया था। उन्‍होंने ट्वीट कर सवाल किया था कि “यदि सीएए किसी धर्म से जुड़ा नहीं है तो फिर क्‍यों हम केवल हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाइयों, पारसियों और जैन की बात कर रहे हैं। क्‍यों मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया? हमें पारदर्शी बनना चाहिए।”

इसके बाद इस साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर चंद्र कुमार बोस ने एक बार फिर संशोधित नागरिकता का नाम लिए बिना कहा था कि देश एक ‘दूसरे विभाजन’ की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि, “आज देश बिखर रहा है। मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लेकिन, आज भारत में समुदायों के बीच एकता नहीं है।” इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ उनके दादा की तरह की शख्सियत ही भारत को विघटित होने से बचा सकती है।

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