● यूपी की पॉलिटिक्स में क्राइम

  1. 403 विधायकों में से 143 पर आपराधिक मामले 2. भाजपा के 37% विधायकों का क्रिमिनल रिकॉर्ड 3. भाजपा के ही 61 में से 35 लोकसभा सांसदों पर केस

2017 के विधानसभा चुनाव में चुनकर आए भाजपा के 114, सपा के 14, बसपा के 5 और कांग्रेस के 1 विधायक पर आपराधिक मामले. उत्तर प्रदेश की धामपुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक अशोक कुमार राणा के ऊपर महिला के खिलाफ अपराध का मामला

लोकसभा के 80 में से 44 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज, इनमें भाजपा के 35, बसपा के 5 और सपा के 2 सांसद

कई पार्टियां हैं, जो चुनावों में खुलकर आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को उतारती हैं। इनमें से कई उम्मीदवार जीतकर लोकसभा और विधानसभा पहुंच भी जाते हैं। लेकिन, जब यही आपराधिक रिकॉर्ड वाले राजनेता कहीं के विधायक या सांसद बनते हैं, तो अपराधियों के खिलाफ जमकर बोलते हैं।

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, जहां की आबादी 22 करोड़ से ज्यादा है। इतनी आबादी पाकिस्तान के बराबर है। यहां सबसे ज्यादा विधानसभा और लोकसभा की सीट हैं। यहां से 80 लोकसभा सांसद और 403 विधायक चुनकर आते हैं। इनमें से कई सांसद और विधायक आपराधिक रिकॉर्ड वाले भी होते हैं।

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां के 2019 में चुनकर आए यहां के 80 लोकसभा सांसदों में से 44 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। जबकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में चुनकर आए 403 विधायकों में से 147 विधायकों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं।

विधानसभा चुनाव : कितने आपराधिक मामले वाले उम्मीदवार उतरे और कितने जीते? उम्मीदवार : 4823 में से 859 पर आपराधिक मामले थे

2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में 403 सीटों के लिए 4 हजार 823 उम्मीदवार उतरे थे। उसमें से 17% यानी 859 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। इन 859 में से भी 704 तो ऐसे थे, जिनपर गंभीर आपराधिक मामले थे। गंभीर अपराध यानी ऐसे अपराध जिनमें 5 साल या उससे ज्यादा की सजा मिलती हो या गैर-जमानती हो।
ये तो हो गई कुल उम्मीदवारों की बात।

जबकि, यहां के विधानसभा चुनाव में भाजपा, सपा, बसपा, आरएलडी और कांग्रेस ने 1 हजार 480 उम्मीदवार उतारे थे। उसमें से 492 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले थे। इस हिसाब से विधानसभा चुनाव में इन पांचों पार्टियों ने जितने उम्मीदवार उतारे थे, उसमें से 33% से ज्यादा पर आपराधिक मामले दर्ज थे।

859 उम्मीदवारों में से 143 जीतकर भी आए
विधानसभा चुनाव में जिन 859 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज थे, उनमें से 143 तो जीतकर विधानसभा भी पहुंच गए। मतलब 2017 के विधानसभा चुनाव में जो 403 विधायक चुनकर आए थे, उनमें से 143 यानी 36% पर आपराधिक मामले दर्ज थे। हालांकि, 2012 की तुलना में ये आंकड़ा कम था। 2012 में 189 विधायक क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले थे।

इस चुनाव में भाजपा ने सबसे ज्यादा 312 सीटें जीती थीं। उसके ही सबसे ज्यादा 114 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसके अलावा बसपा, सपा और कांग्रेस ने 72 सीटें जीती थीं। इन तीनों पार्टियों के 20 विधायक क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले थे।

जीते : जो सांसद चुनकर आए, उनमें से 56% पर आपराधिक मामले थे|

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर चुनकर आए सांसदों में से 79 सांसदों के एफिडेविट का एनालिसिस हुआ था। इन 79 सांसदों में से 44 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। यानी, जितने सांसद जीतकर आए थे, उनमें से 56% क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले थे।

विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा में भी भाजपा ने ही सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं। इस चुनाव में भाजपा ने 61 सीटें जीतीं, जिनमें से 35 सीटों पर आपराधिक उम्मीदवार वाले उम्मीदवार जीतकर आए थे।

इस चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट जीत सकी थी। कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट जीती थी और उनके एफिडेविट के मुताबिक, उन पर भी आपराधिक मामला दर्ज है।

Input: Dainik Bhaskar

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