उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अक्सर ऐसी नीतियों पर काम करती है जिसका विरोध होता है अभी संविदा कर्मचारियों के लिए सरकार ने फार्मूला निकाला है जिसका हर कोई विरोध कर रहा है।

यहां तक कि बीजेपी के नेता भी योगी सरकार की विरोध कर रहे हैं उन्हें सीएम योगी को पत्र लिखकर उनके फैसले को गलत ठहरा दिया है और साथी ऐसी मांग कर डाली है जो सीएम योगी के माथे पर शिकन लाएगी।

देश में बेरोजगारी को लेकर बवाल मचा है लोग सरकार से रोजगार मांग रहे हैं इसी बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ऐसी संविदा नीति लेकर आई है जिस पर सियासी पारा करमा क्या है।

जहां एक तरफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सरकार को आड़े हाथ ले रही है वहीं दूसरी तरफ भी बीजेपी के गोरखपुर फैजाबाद इस्मारक क्षेत्र के विधान परिषद सदस्य देवेंद्र प्रताप सिंह ने अपने ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

उन्होंने सीएम योगी को पत्र लिखकर 5 साल तक की संविदा भर्ती के बाद स्थाई नौकरी का विरोध जताया है साथ ही नई सेवा नियमावली निरस्त करने की मांग की है बीजेपी के एमएलसी देवेंद्र सिंह ने कहा की नई सेवा नियमावली लागू होने से सरकार और पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचने की पूरी संभावना है।

इस प्रस्ताव को लेकर आम जनता खासतौर पर युवा वर्ग में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है उन्होंने साफ किया है कि इस मामले में नौजवान के साथ रहेंगे।

मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा 5 वर्षों पर संविदा पर तैनाती के दौरान हर छह माह पर कार्यालय अध्यक्ष विभाग अध्यक्ष और शासन के अधिकारियों द्वारा मेजरेबल को परफॉर्मस इंडिकेटर के जरिए उनके कार्यों का मूल्यांकन किया जाएगा।

संविदा कर्मचारी को नियमित होने के लिए इस मूल्यांकन में हर साल कम से कम 60% अंक प्राप्त करने होंगे और किसी भी दो छमाही में 60% कम अंक प्राप्त करने वाले संविदाकर्मी को सेवा से वंचित कर दिया जाएग।

देवेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा इन नई प्रस्तावित सेवा नियमावली के आने से सरकारी सेवाओं में नियुक्त होने वाले नौजवानों का शोषण और कदाचार बढ़ेगा.नवनियुक्त कर्मचारी 5 साल के लिए अधिकारियों के बंधुआ मजदूर हो जाएंगे और अधिकारी वर्ग नई सेवा नियमावली को तरह-तरह से सोशन करने का औजार बना सकती है।

अब बीजेपी के नेता ही कह रहे हैं की संविदा नीत से कोई लाभ नहीं होगा लेकिन सरकार को समझ नहीं आ रहा है उसने जो प्रस्ताव दिया है ।

उसके मुताबिक उत्तर प्रदेश में ग्रुप डी और ग्रुप सी के नौकरियों के लिए अब संविदा पर भर्ती की जाएगी यानी कि पहले भारतीय भाग जाएंगे लोगों का सिलेक्शन होगा फिर 5 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर काम कराया जाएगा इन 5 साल में हर 6 महीने पर एक टेस्ट लिया जाएगा जिसमें कम से कम 60 फ़ीसदी अंक पाना अनिवार्य होगा।

दो छमाही में इससे कम अंक लाने वाले लोगों को सेवा से बाहर कर दिया जाएगा 5 साल की संविदा के दौरान किए गए काम को Measurable Key Performance Indicator यानी MKPIL के पैमाने पर मापा जाएगा सरकार MKPIL फार्मूला भी तय कर रही है।

अलग-अलग संवर्ग की सेवा नियमावली के अनुसार हुए लोग 1 से 2 साल के प्रोबेशन पर सीनियर अधिकारियों के निकट में काम करते हैं इस दौरान उन्हें वेतन और दूसरी सर्विस बेनिफिट दिया जाता है। इससे साफ दिखता है कि कर्मचारियों को नुकसान ही नुकसान है बावजूद इसके सरकार मान नहीं रही है।

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