बिहार के चूहों का कारनामा ऐसा है, जिसपर पहली बार में विश्वास करना मुश्किल होता है। दो साल पहले जब यह खबर सामने आई थी कि बिहार में चूहे 9 हजार लीटर शराब पी गए तो लोग हैरान हो गए थे। चूहों के शराब पीने के इस दावे पर कई सवाल भी उठे थे। लेकिन चूंकि दावा बिहार पुलिस ने किया था तो मामले की सच्चाई सामने नहीं आ सकी। हालांकि इतना जरूर था इस मामले के सामने आने के बाद बिहार पुलिस की खूब किरकिरी हुई थी। अब बिहार के चूहों पर एक और बड़ी तोहमत मढ़ी गई है। गरीबों में बांटने के लिए 26.26 लाख के कंबल को चूहों ने कुतर दिया.

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बिहार के लखीसराय जिले में गरीबों के वितरण के लिए आए कंबल चूहों का निवाला बन रहा है. नगर परिषद ने ठंड से ठिठुरते गरीबों को कंबल देने के लिए फरवरी महीने में 26.26 लाख रुपये से 8500 कंबलों की खरीद की थी. जाड़े में तो गरीबों को कंबल नहीं मिल सका लेकिन गोदाम में रखे लाखों रुपए का कंबल चूहों का निवाला जरूर बन गया. कंबल घटिया स्तर होने के चलते वितरित नहीं किया जा सका संबंधित पार्षदों ने अपने वार्ड में कंबल वितरण करने से इनकार कर दिया कुछ वार्डों में कंबल का वितरण किया भी गया.

ज्यादातर कंबल वितरण के लिए शेष बचे हैं बच्चे हुए कंबलों को टाउन हॉल के कोने में बने गोदाम में रखा गया है नगर परिषद ने जेम पोर्टल यानी गवर्नमेंट ई मार्केट से कंबल की खरीद की थी. हरियाणा की एक कंपनी द्वारा कंबल की आपूर्ति की गई थी कंबल की खेप ट्रक के माध्यम से हरियाणा से फरवरी में यहां पहुंची थी. कंबल की क्वालिटी देखते ही वार्ड परिषद भड़क गए थे वितरण से साफ इंकार कर दिया नगर परिषद ने आपूर्तिकर्ता कंपनी को शिकायत दर्ज कराई फिर कंपनी ने दूसरा कंबल भेजा.

नगर परिषद की मानें तो कंपनी से जिस क्वालिटी के कंबल आपूर्ति का एग्रीमेंट किया गया था वह नहीं भेज कर दूसरी और घटिया स्तर के कंबल की आपूर्ति कर दी थी. संसाधन का रोना रोने वाले नगर परिषद की लाखों रुपए के कंबल की बर्बादी देख उसके लापरवाही का अंदाजा लगाया जा सकता है.

जरूरतमंदों ने ठिठुर कर ठंड गुजारा
नगर परिषद द्वारा प्रति कंबल ₹309 की दर से खरीद की गई थी कुल 8500 कंबल का आर्डर आपूर्तिकर्ता कंपनी को दिया गया था. यानी कुल 26,26,500 रुपए की कंबल की खरीद हुई कितनी राशि खर्च करने के बाद भी कंबल गरीबों का कोई काम नहीं आया ठंड में ठिठुरते हुए लोगों ने ठंड गुजार दी.

ठंड बीता तो किया गया कंबल का क्रय चूहों के आया काम
दिसंबर अंतिम सप्ताह में नगर परिषद बोर्ड ने शहरी गरीबों को कंबल वितरित करने का निर्णय लेकर जेम पोर्टल पर खरीद के टेंडर और आपूर्ति में डेढ़ से 2 महीने लग गए तब तक गर्मी आ गई कंबल मिला भी तो घटिया स्तर का.

घटिया क्वालिटी का भेजा था बदलवाने में लग गया लंबा समय
हरियाणा की कंपनी ने घटिया स्तर के कंबल की आपूर्ति की थी फिर कंबल को बदलने में समय लंबा समय लग गया वितरण नहीं किया जा सका. इस साल आने वाले ठंड के समय शहरी गरीबों को कंबल का वितरण किया जाएगा कंबल को सुरक्षित रखा जाएगा.
डॉ विपिन कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद ,लखीसराय

टाउन हॉल में पड़े हैं कंबल के बंडल
वितरण नहीं होने के चलते फिलहाल कंबल को टाउन हॉल में एक कोने में बने गोदाम में रखा गया है. कंबल को टाउन हॉल में अभी करीब कम से कम 5 महीने तक और रखना पड़ेगा चूहों को काटने के कारण इतने लंबे समय तक कंबल को सुरक्षित रखना शायद संभव नहीं होगा. इसी तरह चूहे कुतरते रहेंगे फिर यही गरीबों के लिए किसी काम का नहीं रह जाएगा फिर अगले ठंड में गरीबों को कंबल के अभाव ठंड गुजारना होगा.

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