6.6 अरब डॉलर की दौलत के मालिक अजीम प्रेमजी कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए भी 1125 करो़ड़ रुपये का दान किया है। बीते साल ही अजीम प्रेमजी ने 16 अरब डॉलर की अपनी दौलत चैरिटी के लिए दी थी।
आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन और देश के दिग्गज कारोबारी अजीम प्रेमजी भले ही दौलत के मामले में दुनिया के टॉप 100 लोगों में से नहीं हैं, लेकिन दानियों की लिस्ट में उनका मुकाम कहीं ऊंचा है। 6.6 अरब डॉलर की दौलत के मालिक अजीम प्रेमजी कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए भी 1125 करो़ड़ रुपये का दान किया है। बीते साल ही अजीम प्रेमजी ने 16 अरब डॉलर की अपनी दौलत चैरिटी के लिए दी थी। इस दान के साथ ही वह भारत में अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर से खिसककर 17वें नंबर पर पहुंच गए थे। अजीम प्रेमजी ने अपनी जो दौलत दान की थी, वह उनकी कुल संपत्ति के 75 फीसदी के बराबर थी।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल भारतीय अरबपतियों की दौलत 23 फीसदी कम होते हुए 406 अरब डॉलर से घटकर 313 बिलियन डॉलर ही रह गई। दौलत के आंकड़े में इस कमी की वजह अजीम प्रेमजी की ओर से इतनी बड़ी चैरिटी किया जाना भी है। 1966 में 21 साल की उम्र में अमेरिका की स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी से कर लौटे अजीम प्रेमजी बीते 33 सालों से विप्रो को आगे बढ़ाने के काम में जुटे हुए हैं।
अजीम प्रेमजी का स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी से लौटने का भी दिलचस्प किस्सा है। दरअसल पिता एम.एस. हाशम प्रेमजी के निधन के चलते उन्हें कारोबार संभालने के लिए पढ़ाई बीच में ही छोड़कर लौटना पड़ा था, लेकिन इसके 34 साल बाद उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन किया।
भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए अहम योगदान देने वाले अजीम प्रेमजी को पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया है। 1966 में भारत वापस आने के बाद प्रेमजी विप्रो ने साबुन और वेजिटेबिल कारोबार करने वाली अपने पिता की कंपनी वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड को संभाला जो सनफ्लॉवर वनस्पति ब्रांड नाम से खाने का तेल और कपड़े धोने का साबुन बनाती थी। इसी कंपनी के नाम को छोटा करते हुए विप्रो (WIPRO) किया गया था। 1980 के समय में आईटी सेक्टर में दिख रही संभावनाओं को देखते हुए अजीम प्रेमजी ने विप्रो की स्थापना की थी।