Mis-c syndrome : घातक बीमारी कोरोना वायरस संक्रमण के वजह से अब बच्चों पर एक और नयी आफत आयी है. ब्लैक फंगस , व्हाइट फंगस औऱ येलो फंगस के बाद बच्चों में एक और नयी बीमारी फैलने लगी है. डॉक्टरों ने इसकी पहचान एमआइएस-सी (मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन) के तौर पर की है. बिहार में इस नयी बीमारी ने दस्तक दे दी है. पटना में अब तक 7 बच्चों में ये लक्षण पाये जा चुके हैं.
कोरोना वायरस संक्रमण के वजह से फैली बीमारी
राजधानी पटना के अस्पतालों में अब तक इस बीमारी से ग्रसित 7 बच्चे भर्ती हुए हैं. वही डॉक्टर बता रहे हैं कि इस बीमारी के शिकार वो बच्चे हो रहे हैं जो कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान संक्रमित हुए हैं या फिर उनके परिवार के कोई दूसरे लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. एमआईएस-सी के शिकार बनने का खतरा 12 साल तक की उम्र वाले बच्चों में सबसे अधिक होता है. हालांकि 18 साल तक के बच्चों को भी ये बीमारी हो सकती है.
जानिए क्या हैं इस बीमारी के लक्षण
डॉक्टरों के अनुसार अगर किसी बच्चे में ये सब लक्षण हैं तो वह MIS-C से ग्रसित हो सकता है.
-किसी बच्चे को तीन दिन या फिर उससे ज्यादा) अधिक समय से बुखार है
-पटे में दर्द है, डायरिया या फिर भी उल्टी हो रही है
-किसी बच्चे के शरीर पर चकत्ते पड गये हैं औऱ हाथ पैर ठंढा रह रहा है
-सीने में दर्द है, या फिर सांस लेनेमें तकलीफ हो रही है या दिल की धड़कने तेज हो रही हैं
-चेहरा, होंठ या फिर नाखुन नीला पड गया है
आपको बता दें कि बच्चों में फैल रही इस बीमारी को कुछ ब्लड टेस्ट के जरिये भी पता लगाया जा सकता है. डॉक्टरों के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त हुए लगभग एक प्रतिशत बच्चों में इस बीमारी का शिकार बनने का खतरा होता है. कोरोना वायरस संक्रमण के वजह से जिस बच्चे में ज्यादा एंटीबॉडी बन जाती है उसे ही ये खतरा होता है. ज्यादा एंडीबॉडी के वजह से लीवर, हार्ट, किडनी जैसे कई अंग प्रभावित होते हैं जिससे बच्चे इस नयी बीमारी के शिकार बनते हैं.
डॉक्टरों के अनुसार इस बीमारी से बचने का एकमात्र रास्ता यही है कि बच्चों को कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त रखने की पूरी कोशिश की जाये. अगर कोई बच्चा कोरोना से संक्रमित हो भी गया तो संक्रमण से ठीक होने के बाद भी उसकी जांच करायी जाये. सही तरीके से इलाज औऱ साथ ही डॉक्टर से सलाह ली जाये तो बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है.