वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में दोषी करार दिया है। इसे लेकर कई वरिष्ठ अधिवक्ता और रिटायर्ड जज भूषण के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं। पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने भी भूषण का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट से उन्हें सजा नहीं देने की अपील की है। सोराबजी ने कहा कि उन्हें चुप कराने के बजाय अदालत को उन्हें अपने आप को साबित करने की इजाजत देनी चाहिए। न्यायिक भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें सबूत पेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

प्रशांत भूषण का समर्थन करते हुए सोराबजी ने कहा कि उन्हें अवमानना की सजा नहीं दी जानी चाहिए और अदालत को आलोचना स्वीकार करना आना चाहिए। प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका और सीजेआई एसए बोबड़े के खिलाफ किए गए ट्वीट्स को लेकर अदालत की आपराधिक अवमानना के लिए दोषी ठहराया था।

भूषण का समर्थन करते हुए कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी अदालत के इस फैसले की आलोचना की है। सिब्बल ने कहा कि अदालत अवमानना की शक्ति का इस्तेमाल ‘स्लेजहैमर’ की तरह कर रही है। यह ठीक नहीं है। 20 अगस्त को सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने कहा था कि प्रशांत भूषण चाहें तो 24 अगस्त तक बिना शर्त माफीनामा दाखिल कर सकते हैं।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अगर वो माफीनामा दाखिल करते हैं तो 25 अगस्त को इस पर विचार किया जाएगा। अगर माफीनामा दाखिल नहीं करते हैं तो अदालत सजा पर फैसला सुनाएगी।

इससे पहले कोर्ट में खड़े होकर प्रशांत भूषण ने महात्मा गांधी के बयानों को यादकर कहा कि, मैं कोई दया दिखाने के लिए नहीं कह रहा हूं, बल्कि मैं सिर्फ दरियादिली दिखाने के लिए कह रहा हूं। साथ ही कहा कि कोर्ट मुझे जो भी सजा देना चाहता है, मैं उसके लिए तैयार हूं।


वहीं अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण ने किसी तरह की माफी मांगने से इंकार करते हुए कहा कि, माफी मांगना मेरे लिए अवमानना जैसा होगा।

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